Thursday 21 July 2016

रिश्ते अपना नया अर्थ खोज चुके थे !



रिश्ते अपना नया अर्थ खोज चुके थे !

सुरेश के पिताजी बीमार पड़ गये, उन्हें आनन-फानन में नज़दीक के अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा।
 अस्पताल पहुँचते ही सुरेश ने अस्पताल के बेड पर उनकी फोटो खींची और फेसबुक पर *Father ill admitted to hospital* स्टेटस के साथ अपलोड कर दी।
 फेसबुकिया यारों ने भी 'Like' मार-मार कर अपनी 'ड्यूटी' पूरी कर दी।
 सुरेश भी अपने मोबाइल पर पिताजी की हालत 'Update' करता रहा।
 पिताजी व्याकुल आँखों से अपने 'व्यस्त' बेटे से बात करने को तरसते रहे...!
आज सुरेश ने देखा कि पिताजी की हालत कुछ ज्यादा ख़राब है....!
पुराना वक्त होता तो...बेटा भागता हुआ डाक्टर को गुहार लगाता...
 ...पर...उसने झट से 'बदहवास' पिता की एक-दो फोटो और खींच कर...
 'Condition critical' के स्टेटस के साथ अपलोड कर दी...फेसबुकिया यारों ने हर बार की तरह इस बार भी अपनी ज़िम्मेदारी पूरी ईमानदारी से निभा दी।
 दो-चार घनिष्ठ मित्रों ने बेहद मार्मिक कमेंट कर अपने संवेदनशील होने का प्रमाण दिया।
'वाह! इनकी आँख का आँसू भी साफ दिख रहा है।'
 'फोटो मोबाइल या कैमरे से लिया है?'

तभी नर्स आई - 'आप ने पेशेंट को दवाई दी?'
 'दवाई?'
बिगड़ी हालत देख, नर्स ने घंटी बजाई
'इन्हें एमरजेंसी में ले जा रहे हैं!'
थोड़ी देर में 'बेटा' लिखता है -
'पिताजी चल बसे!
सॉरी...नो फोटो...
मेरे पिताजी का अभी-अभी देहांत हो गया!
ICU में फोटो खींचनी अलाउड नहीं थी....'
कुछ कमेंट्स आए -
'ओह, आखरी वक्त में आप फोटो भी नहीं खींच पाए!'
 'अस्पताल को अंतिम समय पर यादगार के लिए फोटो खींचने देना चाहिए था!'
 'RIP'
 'RIP'
 'अंतिम विदाई की फोटो जरूर अपलोड करना'
पिताजी चले गए थे...
वो खुश था....
इतने 'लाइक' और 'कामेंट्स' उसे पहले कभी नहीं आए थे....
कुछ खास रिश्तेदार अस्पताल गए थे...कुछ एक ने उसे गले लगाया...
गले लगते हुए भी बेटा मोबाइल पर कुछ लिख रहा था।
 बेटा कितना कर्त्तव्यनिष्ठ था!
बाप जाने के समय भी.... सबको
'थैंक्स टू ऑल' लिख रहा था...!

*रिश्ते अपना नया अर्थ खोज चुके थे !*

Network marketing

Network marketing
Network marketing का मतलब होता हे की एक दुसरे के साथ मिल के काम करना जिस से सबको फायदा हो ! एक टीम, एक ग्रुप या एक समूह नेटवर्क हो सकता हे ! लेकिन कुछ लोग Network Marketing को नहीं जानते की इसकी ताकत क्या हे ! कोई भी इंसान अकेला काम नहीं कर सकता ! उसे टीम की जरूरत होती हे जन्हा वो सबसे के साथ मिल के काम करे !
5 साल में अपना दिमाग ना चलाकर कुछ करोडपती बन जाते हैं और कुछ समझदार लोग अपना दिमाग चलाकर पूरी जिंदगी एक नौकरी मै बिताने के बाद भी अपनी समझदारी नहीं छोडते ! इसलिये आप सबसे निवेदन है कि अपनी समझदारी को एक साइड मै रखकर जरा GOVT की और World के बडे बडे BUSINESSMEN की बातों को सुनो वो क्या कह रहे है NETWORK MARKETING के बारे मै-
NETWORK MARKETING is the Fast Growing BUSINESS of 21st Century which must be joined by Every Young Man And Women Globally Otherwise you can Never get the Best of your Youth Age.
NETWORK MARKETING is the future BUSINESS in India. This is the 21st Century BUSINESS and this Business will Give the Revenue of 9000 Crore to Indian Govt Till 2025.
The NETWORK MARKETING industry in India Estimated to be INR Billion (2012-13),and forms only around 0.4 % of total Retail sales .This industry Has the Potential to Reach size of INR 645 Billion by 2025.
If I Would Be a chance to Start All over again .I would choose NETWORK MARKETING .
NETWORK MARKETING has proven itself to be a viable .There have been some Remarkable Examples of SUCCESS .
ROBERT KIYOSAKI-
NETWORK MARKETING Gives people the Opportunity with very Low Risk and very Low Financial Commitment to Build their Own Income Generating ASSET and Acquire GREAT WEALTH.
बडे बडे बिजनेसमैन और GOVT के इतने बडे स्टेटमैंट देने के बाद भी 1949 की सोच वाले कुछ हद से ज्यादा समझदार और ज्ञानी लोग NETWORK MARKETING को चेन सिस्टम,मेम्बर बनाने वाला काम , और कोई स्कीम समझ लेते है उनसे यही पृार्थना है कि 1949 वाली सोच को बदलकर 21st Century मैं आ जाओ वरना वही हाल होगा जो HMT WATCH और NOKIA MOBILE का हुआ Nokia नें ANDROID Technology को Accept नहीं किया और मार्किट से खत्म होगया. और जब तक सोचा तब तक बहुत देर हो चुकी थी !
दोस्तो NETWORKING दुबई के अमेरिका के ,चीन , मलेशिया, आस्टृेलिया ,जापान,कोरिया,थाईलैंड,सिंगापुर,वियतनाम और पूरी दुनिया मै कई जगह इसकी DEGREE पिछले 40 से 50 सालों से पढाई जा रही है हमारे भारत मे कर्नाटक मे साउथ INDIA मे पिछले 4 साल से NETWORK MARKETING की DEGREE कराई जा रही है, पिछले एक साल से हमारी दिल्ली मे DELHI UNIVERSITY मे BUSINESS MBA मे NETWORK MARKETING का पूरा SEMESTER आ गया है,
और अभी भी कुछ नादान ,नासमझ,और इन सबसे अनजान लोग जो खुद को बहुत ज्यादा समझदार समझते हैं हालांकि ये वहम है उनका, वे लोग इस बिजनेस को Chain System,Member, Scheme और बेकार का काम और बेवकूफ बनाने वाला काम समझते हैं कारण सिर्फ एक ही है, वे लोग अभी तक 1949 वाली सोच मे जी रहे है. उनकी आँखें तब खुलेंगी जब उनके खुद के बच्चे 2018 के बाद Collage से NETWORKING की Degree लेकर निकलेंगे ! जैसे
- BACHELOR OF NETWORKING
M. NET- MASTER OF NETWORKING
MBA. NET- MBA IN NETWORKING
हमारा भारत अमेरिका से 50 साल पीछे है ,अमेरिका मे 40%से 50% लोग NETWORK MARKETING बिजनेस में है और हमारे भारत मे सिर्फ 0.4% ही लोग इस बिजनेस मे हैं,कारण सिर्फ एक ही है, 1949 की सोच, जो वक्त के साथ खुद मे बदलाव करना नही जानते ,और ना बदलाव करना चाहते और जिन लोगों को इस बदलाव को समझकर OPEN MINDED होकर FREE of Cost NETWORKING सीखना और अपनी जिंदगी में उम्मीद से भी कहीं ज्यादा पैसा कमाना है या कमाना चाहते है तो उनके साथ हाथों से हाथ और कंधे से कंधा मिलाकर साथ चलने के लिये लोग खडें है बस Decide आपको करना है कि आपको पैसा कितना चाहिये और क्यों चाहिये ,बाकि सब हम पर छोड दो .बदलते वक्त के साथ जो खुद को बदल लेता है SUCCESS ,उसके कदमों मैं होती है !
इसलिए आज से अपने विचार को बदले और Network Marketing की ताकत को जाने ! क्योकि एक न एक दिन आपको इस सिस्टम को अपनाना होगा

Tuesday 12 July 2016

सफलता का रहस्य



सफलता का रहस्य

एक आठ साल का लड़का गर्मी की छुट्टियों में अपने दादा जी के पास गाँव घूमने आया। एक दिन वो बड़ा खुश था, उछलते-कूदते वो दादाजी के पास पहुंचा और बड़े गर्व से बोला, ” जब मैं बड़ा होऊंगा तब मैं बहुत सफल आदमी बनूँगा। क्या आप मुझे सफल होने के कुछ टिप्स दे सकते हैं?

दादा जी नेहाँमें सिर हिला दिया, और बिना कुछ कहे लड़के का हाथ पकड़ा और उसे करीब की पौधशाला में ले गए। वहां जाकर दादा जी ने दो छोटे-छोटे पौधे खरीदे और घर वापस गए।वापस लौट कर उन्होंने एक पौधा घर के बाहर लगा दिया और एक पौधा गमले में लगा कर घर के अन्दर रख दिया।

क्या लगता है तुम्हे, इन दोनों पौधों में से भविष्य में कौन सा पौधा अधिक सफल होगा?”, दादा जी ने लड़के से पूछा। लड़का कुछ क्षणों तक सोचता रहा और फिर बोला, ” घर के अन्दर वाला पौधा ज्यादा सफल होगा क्योंकि वो हर एक खतरे से सुरक्षित है जबकि बाहर वाले पौधे को तेज धूप, आंधी-पानी, और जानवरों से भी खतरा है…”

दादाजी बोले, ” चलो देखते हैं आगे क्या होता है !”, और वह अखबार उठा कर पढने लगे।कुछ दिन बाद छुट्टियाँ ख़तम हो गयीं और वो लड़का वापस शहर चला गया।

इस बीच दादाजी दोनों पौधों पर बराबर ध्यान देते रहे और समय बीतता गया। - साल बाद एक बार फिर वो अपने पेरेंट्स के साथ गाँव घूमने आया और अपने दादा जी को देखते ही बोला, “दादा जी, पिछली बार मैं आपसे successful होने के कुछ टिप्स मांगे थे पर आपने तो कुछ बताया ही नहींपर इस बार आपको ज़रूर कुछ बताना होगा।
दादा जी मुस्कुराये और लडके को उस जगह ले गए जहाँ उन्होंने गमले में पौधा लगाया था। अब वह पौधा एक खूबसूरत पेड़ में बदल चुका था। लड़का बोला, ” देखा दादाजी मैंने कहा था कि ये वाला पौधा ज्यादा सफल होगा…”
अरे, पहले बाहर वाले पौधे का हाल भी तो देख लो…”, और ये कहते हुए दादाजी लड़के को बाहर ले गए, बाहर एक विशाल वृक्ष गर्व से खड़ा था! उसकी शाखाएं दूर तक फैलीं थीं और उसकी छाँव में खड़े राहगीर आराम से बातें कर रहे थे।

अब बताओ कौन सा पौधा ज्यादा सफल हुआ?”, दादा जी ने पूछा।
“…..बाहर वाला!….लेकिन ये कैसे संभव है, बाहर तो उसे जाने कितने खतरों का सामना करना पड़ा होगा.फिर भी…”, लड़का आश्चर्य से बोला।

दादा जी मुस्कुराए और बोले, “हाँ, लेकिन challenges face करने के अपने rewards भी तो हैं, बाहर वाले पेड़ के पास आज़ादी थी कि वो अपनी जड़े जितनी चाहे उतनी फैला ले, आपनी शाखाओं से आसमान को छू लेबेटे, इस बात को याद रखो और तुम जो भी करोगे उसमे सफल होगे- अगर तुम जीवन भर safe option choose करते हो तो तुम कभी भी उतना नहीं grow कर पाओगे जितनी तुम्हारी क्षमता है, लेकिन अगर तुम तमाम खतरों के बावजूद इस दुनिया का सामना करने के लिए तैयार रहते हो तो तुम्हारे लिए कोई भी लक्ष्य हासिल करना असम्भव नहीं है! लड़के ने लम्बी सांस ली और उस विशाल वृक्ष की तरफ देखने लगावो दादा जी की बात समझ चुका था, आज उसे सफलता का एक बहुत बड़ा सबक मिल चुका था!

दोस्तों, भगवान् ने हमें एकmeaningful life जीने के लिए बनाया है। But unfortunately, अधिकतर लोग डर-डर के जीते हैं और कभी भी अपने full potential को realize नही कर पाते। इस बेकार के डर को पीछे छोडियेज़िन्दगी जीने का असली मज़ा तभी है जब आप वो सब कुछ कर पाएं जो सब कुछ आप कर सकते हैंवरना दो वक़्त की रोटी का जुगाड़ तो कोई भी कर लेता, इसलिए हर समय play it safe के चक्कर में मत पड़े रहियेजोखिम उठाइए risk लीजिये और उस विशाल वृक्ष की तरह अपनी life को large बनाइये!

- Story Taken from Internet