तोरा मन दर्पण कहलाये भले, बुरे सारे, कर्मों को देखे और दिखाए मन ही देवता, मन ही ईश्वर मन से बड़ा ना कोई मन उजियारा, जब जब फैले जग उजियारा होए इस उजले दर्पण पर प्राणी, धूल ना ज़मने पाए सुख की कलियाँ, दुःख के काँटे मन सब का आधार मन से कोई, बात छूपे ना मन के नैन हजार जग से चाहे भाग ले कोई, मन से भाग ना पाए
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Wednesday, 8 January 2014
तोरा मन दर्पण कहलाये
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Friday, 20 December 2013
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