एक
पिता अपनी चार वर्षीय
बेटी गुड़िया से बहुत प्रेम करता था। ऑफिस से लौटते वक़्त वह रोज़ उसके लिए
तरह-तरह के खिलौने और खाने-पीने की चीजें लाता था। बेटी भी अपने पिता से बहुत
लगाव रखती थी और
हमेशा अपनी तोतली आवाज़ में पापा-पापा कह कर पुकारा करती थी।
दिन अच्छे बीत रहे थे की
अचानक एक दिन गुड़िया को बहुत तेज बुखार हुआ, सभी घबरा गए , वे दौड़े भागे डॉक्टर के पास गए ,
पर वहां ले जाते-ले जाते गुड़िया की मृत्यु हो गयी।
परिवार
पे तो मानो पहाड़
ही टूट पड़ा और पिता की हालत तो मृत व्यक्ति के समान हो गयी। गुड़िया के जाने
के हफ़्तों बाद भी वे ना किसी से बोलते ना बात करते…बस रोते ही रहते। यहाँ तक की उन्होंने ऑफिस जाना भी छोड़
दिया और घर से निकलना भी बंद कर दिया।
आस-पड़ोस
के लोगों और नाते-रिश्तेदारों ने उन्हें समझाने की बहुत कोशिश की पर वे
किसी की ना सुनते , उनके
मुख से बस एक
ही शब्द निकलता … गुड़िया
!
एक
दिन ऐसे ही गुड़िया के बारे में सोचते-सोचते उनकी आँख लग गयी और उन्हें एक स्वप्न
आया।
उन्होंने देखा कि
स्वर्ग में सैकड़ों बच्चियां परी बन कर घूम रही हैं, सभी सफ़ेद पोशाकें पहने हुए हैं और हाथ
में मोमबत्ती ले कर चल रही हैं। तभी उन्हें गुड़िया भी दिखाई दी।
उसे
देखते ही पिता बोले , ” गुड़िया
, मेरी प्यारी बच्ची ,
सभी परियों की मोमबत्तियां जल रही हैं,
पर तुम्हारी बुझी क्यों हैं , तुम इसे जला क्यों नहीं लेती ?”
गुड़िया
बोली, ” पापा, मैं तो बार-बार मोमबत्ती जलाती हूँ ,
पर आप इतना रोते हो कि आपके आंसुओं से
मेरी मोमबत्ती बुझ जाती है….”
ये
सुनते ही पिता की नींद टूट गयी। उन्हें अपनी गलती का अहसास हो गया , वे समझ गए की उनके इस तरह दुखी रहने से
उनकी बेटी
भी खुश नहीं रह सकती , और
वह पुनः सामान्य जीवन की तरफ बढ़ने लगे।
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