एक अत्यंत कुशल कारपेंटर बहुत अच्छे व सुन्दर घर बनाता था. ठेकेदार उसके कार्य से बहुत खुश था. जब वह बूढ़ा हो गया और कार्यनिवृत (retire) होने वाला था. उसने अपने ठेकेदार को इस बारे में सूचना देदी. ठेकेदार ने उसे कहा तुम जाने से पहले केवल एक घर और बना दो.
कारपेंटर इस शर्त पर तैयार हो गया कि यह उसका अंतिम प्रोजेक्ट होगा. उसने घर बनाना शुरू किया. उसका ध्यान क्योंकि कार्यनिवृति (retirement) पर था, वह इस घर के निर्माण में अधिक ध्यान नहीं दे रहा था. उसका मन अपने काम में नहीं था. उसने घटिया निर्माण सामग्री का प्रयोग करते हुए बड़े बेमन से उस घर को पूरा कर दिया.
कार्य पूर्ण होने पर उसने ठेकेदार को बुला कर घर दिखाया. ठेकेदार जब घर देखने आया तो उसने उस घर के कागज और चाभी कारपेंटर को देते हुए कहा. यह है आपका कार्यनिवृति उपहार. यह घर आपका है. कारपेंटर सदमे में था. वह सोच रहा था, अगर उसे पता होता कि वह यह घर अपने लिए बना रहा है, तो वह उच्च कोटि की सामग्री का प्रयोग करता और मन लगा कर सबसे बढ़िया घर बनाता.
दोस्तों! क्या हम लोग भी उस कारपेंटर की भांति नहीं हैं? इश्वर ने हमें इस संसार में भेजा है अच्छे काम करने के लिए, पर हम कितने अच्छे काम करते हैं?
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