Friday, 10 January 2014

बढ़ई का कमाल

किसी गांव में दो भाई साथ साथ खेती करते थे. मशीनों की भागीदारी और चीजों का व्यवसाय किया करते थे. बरसों बाद एक एक छोटी सी ग़लतफहमी की वजह से उनमे पहली बार झगडा हो गया था झगडा दुश्मनी में बदल गया था.

एक सुबह एक बढई बड़े भाई से काम मांगने  आया.

बड़े भाई ने  कहा हाँ, मेरे पास तुम्हारे लिए काम हैं. उस खेत की तरफ देखो ,वो मेरा पडोसी हैं.  यूँ तो वो मेरा भाई हैं. पिछले सप्ताह तक हमारे खेतो के बीच घास का मैदान हुआ करता था. पर मेरा भाई बुलडोजर ले आया और अब हमारे खेतो के बीच ये खाई जरुर हैं. जरुर उसने मुझे परेशान करने के लिए ये सब किया होगा. अब मुझे उसे मजा चखना है. तुम खेत के चारो तरफ बाड़ बना दो ताकि मुझे उसकी शक्ल भी ना देखनी पड़े.

ठीक है”, बढई ने कहा.

उसने बढई को सारा सामान लाकर दे दिया और खुद शहर चला गया. शाम को लौटा तो बढई का काम देखकर भौचक्का रह गया. बाड़ की जगह वहा एक पुल था  जो खाई को एक तरफ से दूसरी तरफ जोड़ता था.

इससे पहले की बढई कुछ कहता, उसका छोटा भाई आ गया. तुम कितने दरियादिल हो, मेरे इतने भला बुरा कहने के बाद भी तुमने हमारे बीच ये पुल बनाया, कहते कहते उसकी आँखे भर आई और दोनों एक दूसरे के गले लग कर रोने लगे. जब दोनों भाई सम्भले तो देखा की बढई जा रहा था. रुको मेरे पास तुम्हारे लिए और भी कई काम हैं, बड़ा भाई बोला. मुझे रुकना अच्छा लगता ,पर मुझे ऐसे कई पुल और बनाने हैं, बढई मुस्कुराकर बोला  और अपनी राह को चल दिया.

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