Thursday 9 January 2014

जो किसी स्कूल, कॉलेज, इंस्टिट्यूट में नहीं सिखाते

एक सुखी जीवन एवं उत्पादकता के लिए संसाधनों (resources) का प्रबंधन (management) बहुत आवश्यक है. चार मुख्य संसाधनों: श्रम, धन, सामग्री और मशीनरी ( Four Ms - men, money, materials & machinery) के सही एवं उत्पादक (productive) प्रयोग के लिए और उनके प्रबंधन में पांचवां M, हमारा मन (mind) एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. 

आज दुनिया में अनगिनत स्कूल, कॉलेज, इंस्टिट्यूट हैं जो विज्ञान एवं आर्थिक प्रबंधन के बारे में ज्ञान देती हैं, पर दुर्भाग्य से एक भी ऐसा स्कूल, कॉलेज, इंस्टिट्यूट नहीं है जो इस पांचवें, सबसे महत्वपूर्ण M अर्थात मन (mind) का प्रबंधन सिखाते हों. यदि हम अपने मन को मैनेज करना सीख जायें तो बाकी की सारी चीज़ें, सारे M अपने आप मैनेज हो जायेंगे.

मन वास्तव में है क्या? साधारण शब्दों में, मन और कुछ नहीं, यह हमारी सोचने एवं संकल्प करने की शक्ति है. साधारणतया लोग मस्तिष्क (brain) और मन (mind) के बीच भेद नहीं करते, मस्तिष्क और मन को एक ही समझते हैं. मस्तिष्क किसी भी अन्य अंग की भांति शरीर का एक अंग है. जबकि मन (mind) मस्तिष्क (brain) की वह शक्ति है जिसके बिना मस्तिष्क कुछ नहीं कर सकता. साधारण भाषा में हम यूं भी कह सकते हैं कि मस्तिष्क एक कंप्यूटर है और मन एक सॉफ्टवेयर अथवा उसे चलाने वाला प्रोग्राम है.

 मानव शरीर की तीन सूक्ष्म शक्तियों: मन, बुद्धि एवं संस्कार में मन सर्वोपरि है. मन अर्थात mind आखिर करता क्या है? इसकी शक्तियां क्या हैं? यह केवल सोचता नहीं है, अपितु महसूस करने की शक्ति भी मन में ही होती है. हमारा मन रचनाकार भी है तो यही हमारी कल्पना शक्ति है. हमारे मन में ही इच्छाशक्ति भी समाई है यानि मन में ही इच्छाएं जागृत होती हैं तो यही मन याद रखने का कार्य भी करता है. यही मन हमारे विचारों को साकार रूप भी देता है. यदि हम मन की शक्तियों एवं कार्यों की सूचि बनाएं तो वह कुछ इस प्रकार होगी:

1. सोचना या विचार करने की शक्ति (Think)
2. महसूस या आभास करने की शक्ति (Feel)
3. रचना करने की शक्ति या रचनात्मकता (Create)
4. कल्पना शक्ति (Imagine)
5. इच्छाशक्ति (Desire)
6. याद्दाश्त अर्थात याद करने की शक्ति (Remember)
7. प्राप्त करने या विचारों को मूर्त अथवा साकार रूप देने की शक्ति (Realize)

प्रकृति की इतनी सुन्दर देन 'मन' के बारे में किसी भी स्कूलकॉलेजअथवा इंस्टिट्यूट में नहीं समझाया जाता. आइये मन के बारे में कुछ और जानने का प्रयास करते हैं. हमारे मन को साधारणतया दो भागों में विभक्त (divide) किया जा सकता है. जागृत अथवा चेतन मन (conscious mind) एवं अर्ध-जागृत अथवा अवचेतन मन (sub-conscious mind).



उपरोक्त चित्र में एक हिमशैल (iceberg) को देखिये. यद्यपि एक हिमशैल हमें पानी पर तैरता हुआ दिखाई देता है, लेकिन इसका एक बहुत बडा भाग पानी की सतह के नीचे डूबा रहता है, जो हमें दिखाई नही देता. हमारे मन के दोनों हिस्से भी बिल्कुल इसी तरह स्थित हैं. पानी की सतह से ऊपर तैरती आइसबर्ग की चोटी, चेतन मन का प्रतिनिधत्व करती है, जबकि पानी में डूबा हुआ विशाल हिस्सा, शक्तिशाली अवचेतन मन के समान होता है.
आमतौर पर यह माना जाता है कि मानव-मन का केवल 10%  हिस्सा चेतन मन होता है, जबकि बाकी 90% हिस्सा अवचेतन मन होता है.

सामान्यत: जागृत अवस्था में, चेतन मन काम करता है. यह निणर्य लेने और चुनने का काम करता है. जैसे आप किस पुस्तिका को पढ़ते हैं और गीत को सुनते हैं, तो यह आपका चेतन मन है जो सारी जानकारियों को आत्मसात् कर रहा है. यह भावनाओं और विचारों के रूप में प्रकट होता है. यह हमें, अपने आसपास की चीजों के बारे मे सजग करता है. यह हमारी पांच इंद्रियों के आधार पर कार्य करता है - देखना, सुनना, स्वाद, स्पर्श और सुगंध.

अवचेतन मन नीचे स्थित होता है. यह उस खुफिया एजेंट की तरह होता है जो सारे काम करता रहता है लेकिन कभी भी दिखाई नहीं देता. यह हमारे जीवन के सारे अनुभवों के ख़जाने के तौर पर काम करता है - हाल ही मे घटी और अतीत की घटनाओं की यादों का खजाना, अवचेतन मन, चेतन मन की तरह केवल तभी काम नही करता जब हम जागृत अवस्था में होते हैं, बल्कि यह तब भी काम करता रहता है जब हम सो रहे होते हैं. इसलिए यह कहा जा सकता है कि यह दिन के चौबीसों  घंटो काम करता रहता है. हमें जब भी कोई सूचना मिलती है, तो अवचेतन मन हमारी वर्तमान सांसारिक अनुभूति के आधार पर ही सूचना को स्वीकार या अस्वीकार करता है. ये वर्तमान अनुभूतियां तभी पैदा होनी शुरू हो जाती हैं जब हम छोटे बच्चे होते हैं, और ये पूरे जीवन हमारे रूचियों, आदतों और दृष्टिकोण को प्रभावित करती रहती है .

किसी भी व्यक्ति के मन में, दिन भर में लगभग 60000 विचार आते हैं. मोटे तौर पर विचारों के दो प्रकार होते हैं, सकारात्मक विचार एवं नकारात्मक विचार. इन 60000 विचारों में अधिकतर विचार नकारात्मक होते हैं. यदि हमें जीवन में आगे बढ़ना है तप हमें हमें अपने विचारों को सही दिशा देनी होगी. नकारात्मक विचारों को ना कहना सीखना होगा और सकारात्मक विचारों को अधिक से अधिक अपनाना होगा. क्योंकि कोई भी विचार चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक, जब बार-बार हमारे मन में आता है तो धीरे-धीरे वह हमारे अवचेतन मन (subconscious mind) में रिकॉर्ड हो जाता है या यूं कहिये कि हमारे अवचेतन मन की conditioning कर देता है और फिर उससे पीछा छुड़ाना बहुत मुश्किल हो जाता है. जैसी अवचेतन मन की कंडीशनिंग होगी वैसा ही हमारा जीवन होता जाएगा.

मन ही देवता, मन ही ईश्वर
मन से बड़ा ना कोई
मन उजियारा, जब जब फैले
जग उजियारा होए
इस उजले दर्पण पर प्राणी, धूल ना ज़मने पाए

मन का यह विषय अत्यंत रोचक एवं गहन है. आज के लिए इतना ही. आगामी लेखों में हम इस विषय पर और अधिक चर्चा करेंगे.

No comments: