Monday, 10 March 2014

एकाग्रचित्त बनें (Be Focussed)

एक आदमी को किसी ने सुझाव दिया कि दूर से पानी लाते हो, क्यों नहीं अपने घर के पास एक कुआं खोद लेते? हमेशा के लिए पानी की समस्या से छुटकारा मिल जाएगा. सलाह मानकर उस आदमी ने कुआं खोदना शुरू किया. लेकिन सात-आठ फीट खोदने के बाद उसे पानी तो क्या, गीली मिट्टी का भी चिह्न नहीं मिला. उसने वह जगह छोड़कर दूसरी जगह खुदाई शुरू की. लेकिन दस फीट खोदने के बाद भी उसमें पानी नहीं निकला. उसने तीसरी जगह कुआं खोदा, लेकिन निराशा ही हाथ लगी. इस क्रम में उसने आठ-दस फीट के दस कुएं खोद डाले, पानी नहीं मिला. वह निराश होकर उस आदमी के पास गया, जिसने कुआं खोदने की सलाह दी थी.
उसे बताया कि मैंने दस कुएं खोद डाले, पानी एक में भी नहीं निकला. उस व्यक्ति को आश्चर्य हुआ. वह स्वयं चलकरउस स्थान पर आया, जहां उसने दस गड्ढे खोद रखे थे. उनकी गहराई देखकर वह समझ गया. बोला, 'दस कुआं खोदने की बजाए एक कुएं में ही तुम अपना सारा परिश्रम और पुरूषार्थ लगाते तो पानी कबका मिल गया होता. तुम सब गड्ढों को बंद कर दो, केवल एक को गहरा करते जाओ, पानी निकल आएगा.'दोस्तों! आज की स्थिति यही है. आदमी हर काम फटाफट करना चाहता है. किसी के पास धैर्य नहीं है. इसी तरह पचासों योजनाएं एक साथ चलाता है और पूरी एक भी नहीं हो पाती.

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