एक बार
सूफी संत जुनैद को एक व्यक्ति ने खूब अपशब्द कहे और
उनका अपमान किया. संत ने उस व्यक्ति से कहा कि मैं कल वापस आकर तुम्हें अपना जवाब
दूंगा.
अगले दिन वापस जाकर उस व्यक्ति से कहा कि अब तो
तुम्हें जवाब देने की जरूरत ही नहीं है.
उस व्यक्ति को बेहद आश्चर्य हुआ. उस व्यक्ति ने संत से
कहा कि जिस तरीके से मैंने
आपका अपमान किया और आपको अपशब्द कहे, तो घोर शांतिप्रिय व्यक्ति भी
उत्तेजित हो जाता और जवाब देता. आप तो सचमुच विलक्षण,
महान हैं.
संत ने कहा – मेरे गुरु ने मुझे सिखाया है कि यदि आप त्वरित जवाब
देते हैं तो वह आपके
अवचेतन मस्तिष्क से निकली हुई बात होती है. इसलिए कुछ समय गुजर जाने
दो. चिंतन मनन हो जाने दो. कड़वाहट खुद ही घुल जाएगी.
तुम्हारे दिमाग की गरमी
यूँ ही ठंडी हो जाएगी. आपके आँखों के सामने का अँधेरा जल्द ही छंट
जाएगा. चौबीस घंटे गुजर जाने दो फिर जवाब दो.
क्या आपने कभी सोचा है कि कोई व्यक्ति पूरे 24
घंटों के लिए गुस्सा रह सकता है?
24 घंटे क्या, जरा अपने आप को 24 मिनट का ही समय देकर देखें. गुस्सा क्षणिक
ही होता है, और बहुत संभव है कि आपका गुस्सा,
हो सकता है 24 सेकण्ड भी न ठहरता हो.
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