डॉक्टर को देखते ही लड़के
का पिता बोला, ”आप लोग अपनी ड्यूटी ठीक से
क्यों नहीं करते? आपने आने में इतनी देर
क्यों लगा दी? अगर मेरे बेटे को कुछ हुआ
तो इसके जिम्मेदार आप होंगे.”
डॉक्टर ने विनम्रता कहा,
” क्षमा कीजिये,
मैं हॉस्पिटल
में नहीं था, और फ़ोन आने के बाद जितना
तेजी से हो सका मैं यहाँ आया हूँ. कृपया अब आप लोग शांत हो जाइये ताकि मैं इलाज कर
सकूँ.”
“शांत हो जाइये?”, लड़के का पिता गुस्से में बोला,
”क्या इस समय अगर
आपका बेटा होता तो आप शांत रहते ? अगर किसी की लापरवाही की वजह से
आपका अपना बेटा मर जाए तो आप क्या करेंगे?” ; पिता बोले ही जा रहा था.
”भगवान चाहेगा तो सब ठीक हो जाएगा,
आप लोग दुआ
कीजिये मैं इलाज शुरू करता हूँ.” और ऐसा कहते हुए डॉक्टर ऑपरेशन थिएटर में प्रवेश कर गया.
बाहर लड़के का पिता अभी भी बडबडा रहा था, ”सलाह देना आसान होता है,
जिस पर बीतती है
वही जानता है…”
काफी देर बाद डॉक्टर
बाहर निकला और मुस्कुराते हुए बोला, ”भगवान् का शुक्र है आपका
बेटा अब खतरे से बाहर है.“
यह सुनते ही लड़के के परिजन
खुश हो गए और डॉक्टर से सवाल पर सवाल पूछने लगे, ” वो कब तक पूरी तरह से ठीक
हो जायेगा? उसे डिस्चार्ज कब करेंगे?” परन्तु डॉक्टर जिस तेजी से आया
था उसी तेजी से वापस जाने लगा और लोगों से अपने सवाल नर्स से पूछने को कहा.
”ये डॉक्टर इतना घमंडी क्यों है,
ऐसी क्या जल्दी
है कि वो दो मिनट हमारे सवालों का जवाब नहीं दे सकता ?” लड़के के पिता ने नर्स से
कहा.
नर्स बोली, ” आज सुबह डॉक्टर साहब के लड़के की एक भयानक एक्सीडेंट में मौत हो गयी,
और जब हमने
उन्हें फ़ोन किया था तब वे उसका अंतिम संस्कार करने जा रहे थे. और बेचारे अब आपके
बच्चे की जान बचाने के बाद अपने लाडले का अंतिम संस्कार करने के लिए वापस लौट रहे
हैं.“ यह सुन लड़के के परिजन और
पिता स्तब्ध रह गए और उन्हें अपनी गलती का अहसास हो गया.
दोस्तों! कई बार हम किसी परिस्थिति के बारे
में अच्छी तरह जाने बिना ही उसपर प्रतिक्रिया कर देते हैं. पर हमें चाहिए कि हम खुद पर नियंत्रण रखें और पूरी स्थिति को समझे बिना कोई
नकारात्मक प्रतिक्रिया न दें. वर्ना अनजाने में हम उसे ही ठेस
पहुंचा सकते हैं जो हमारा ही भला सोच रहा हो.
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