Friday, 7 March 2014

पचास का नोट

एक व्यक्ति ऑफिस में देर रात तक काम करने के बाद थका -हारा घर पहुंचा. दरवाजा खोलते ही उसने देखा कि उसका पांच वर्षीय बेटा सोने की बजाये उसका इंतज़ार कर रहा है.

अन्दर घुसते ही बेटे ने पूछा पापा, क्या मैं आपसे एक प्रश्न पूछ सकता हूँ?”

हाँ -हाँ पूछो, क्या पूछना है?” पिता ने कहा.

बेटा - पापा, आप एक घंटे में कितना कमा लेते हैं?”

इससे तुम्हारा क्या लेना देनातुम ऐसे बेकार के सवाल क्यों कर रहे हो?” पिता ने झुंझलाते हुए उत्तर दिया.

बेटा - मैं बस यूँही जानना चाहता हूँ. Please बताइए कि आप एक घंटे में कितना कमाते हैं?”

पिता ने गुस्से से उसकी तरफ देखते हुए कहा, “100 रुपये.

अच्छा ”, बेटे ने मासूमियत से सर झुकाते हुए कहा -, “पापा क्या आप मुझे 50 रूपये दे सकते हैं?”

इतना सुनते ही वह व्यक्ति आग बबूला हो उठा, “तो तुम इसीलिए ये फ़ालतू का सवाल कर रहे थे ताकि मुझसे पैसे लेकर तुम कोई बेकार का खिलौना या उटपटांग चीज खरीद सकोचुपचाप अपने कमरे में जाओ और सो जाओ सोचो तुम कितने स्वार्थी होमैं दिन रात मेहनत करके पैसे कमाता हूँ और तुम उसे बेकार की चीजों में बर्वाद करना चाहते हो

यह सुन बेटे की आँखों में आंसू गएऔर वह अपने कमरे में चला गया.

व्यक्ति अभी भी गुस्से में था और सोच रहा था कि आखिर उसके बेटे कि ऐसा करने कि हिम्मत कैसे हुईपर एक -आध घंटा बीतने के बाद वह थोडा शांत हुआ, और सोचने लगा कि हो सकता है कि उसके बेटे ने सच -में किसी ज़रूरी काम के लिए पैसे मांगे हों, क्योंकि आज से पहले उसने कभी इस तरह से पैसे नहीं मांगे थे.

फिर वह उठ कर बेटे के कमरे में गया और बोला, “ क्या तुम सो रहे हो?”, “नहींजवाब आया.

मैं सोच रहा था कि शायद मैंने बेकार में ही तुम्हे डांट दिया, दरअसल दिन भर के काम से मैं बहुत थक गया था.व्यक्ति ने कहा.

“I am sorry… ये लो अपने पचास रूपये.ऐसा कहते हुए उसने अपने बेटे के हाथ में पचास की नोट रख दी.

“Thank You पापाबेटा ख़ुशी से पैसे लेते हुए कहा, और फिर वह तेजी से उठकर अपनी आलमारी की तरफ गया, वहां से उसने ढेर सारे सिक्के निकाले और धीरे -धीरे उन्हें गिनने लगा.

यह देख व्यक्ति फिर से क्रोधित होने लगा, “जब तुम्हारे पास पहले से ही पैसे थे तो तुमने मुझसे और पैसे क्यों मांगे?”

क्योंकि मेरे पास पैसे कम थे, पर अब पूरे हैंबेटे ने कहा.

पापा अब मेरे पास 100 रूपये हैं. क्या मैं आपका एक घंटा खरीद सकता हूँ? आप ये पैसे ले लोजिये और कल घर जल्दी जाइये, मैं आपके साथ बैठकर खाना खाना चाहता हूँ.

दोस्तों, इस तेज रफ़्तार जीवन में हम कई बार खुद को इतना व्यस्त कर लेते हैं कि उन लोगो के लिए ही समय नहीं निकाल पाते जो हमारे जीवन में सबसे ज्यादा महत्त्व रखते हैं. इसलिए हमें ध्यान रखना होगा कि इस आपा-धापी में भी हम अपने माँ-बाप, जीवन साथी, बच्चों और अभिन्न मित्रों के लिए समय निकालें, वरना एक दिन हमें भी अहसास होगा कि हमने छोटी-मोटी चीजें पाने के लिए कुछ बहुत बड़ा खो दिया.


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