इसलिए इस बार वह जोर से चिल्लाया,
भगवान मुझसे कुछ बोलो तो और आकाश में घटाएं उमड़ने घुमड़ने लगी बादलो की गड़गडाहट होने लगी. लेकिन आदमी ने कुछ नहीं सुना. उसने चारो तरफ निहारा, ऊपर- नीचे सब तरफ देखा और बोला, - भगवान मेरे सामने तो आओ और बादलो में छिपा सूरज चमकने लगा. पर उसने देखा ही नही .
आखिरकार वह आदमी गला फाड़कर चीखने लगा भगवान मुझे कोई चमत्कार दिखाओ - तभी एक शिशु का जन्म हुआ और उसका प्रथम रुदन गूंजने लगा किन्तु उस आदमी ने ध्यान नहीं दिया. अब तो वह व्यक्ति रोने लगा और भगवान से याचना करने लगा - भगवान मुझे स्पर्श करो मुझे पता तो चले तुम यहाँ हो, मेरे पास हो, मेरे साथ हो और एक तितिली उड़ते हुए आकर उसके हथेली पर बैठ गयी लेकिन उसने तितली को उड़ा दिया और उदास मन से आगे चला गया.
भगवान इतने सारे रूपो में उसके सामने आया, इतने सारे ढंग से उससे बात की पर उस आदमी ने पहचाना ही नहीं शायद उसके मन में प्रभु की तस्वीर ही नहीं थी.
दोस्तों! ईश्वर प्रकृति के कण-कण में है, लेकिन हम उसे किसी और रूप में देखना चाहते है इसलिए उसे कही देख ही नहीं पाते. इसे भक्ति मे दुराग्रह भी कहते है. भगवान अपने तरीके से आना चाहते और हम अपने तरीके से देखना चाहते है और बात नहीं बन पाती. हमें भगवान को हर जगह हर पल महसूस करना चाहिए.
भगवान मुझसे कुछ बोलो तो और आकाश में घटाएं उमड़ने घुमड़ने लगी बादलो की गड़गडाहट होने लगी. लेकिन आदमी ने कुछ नहीं सुना. उसने चारो तरफ निहारा, ऊपर- नीचे सब तरफ देखा और बोला, - भगवान मेरे सामने तो आओ और बादलो में छिपा सूरज चमकने लगा. पर उसने देखा ही नही .
आखिरकार वह आदमी गला फाड़कर चीखने लगा भगवान मुझे कोई चमत्कार दिखाओ - तभी एक शिशु का जन्म हुआ और उसका प्रथम रुदन गूंजने लगा किन्तु उस आदमी ने ध्यान नहीं दिया. अब तो वह व्यक्ति रोने लगा और भगवान से याचना करने लगा - भगवान मुझे स्पर्श करो मुझे पता तो चले तुम यहाँ हो, मेरे पास हो, मेरे साथ हो और एक तितिली उड़ते हुए आकर उसके हथेली पर बैठ गयी लेकिन उसने तितली को उड़ा दिया और उदास मन से आगे चला गया.
भगवान इतने सारे रूपो में उसके सामने आया, इतने सारे ढंग से उससे बात की पर उस आदमी ने पहचाना ही नहीं शायद उसके मन में प्रभु की तस्वीर ही नहीं थी.
दोस्तों! ईश्वर प्रकृति के कण-कण में है, लेकिन हम उसे किसी और रूप में देखना चाहते है इसलिए उसे कही देख ही नहीं पाते. इसे भक्ति मे दुराग्रह भी कहते है. भगवान अपने तरीके से आना चाहते और हम अपने तरीके से देखना चाहते है और बात नहीं बन पाती. हमें भगवान को हर जगह हर पल महसूस करना चाहिए.
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