Wednesday 30 October 2013

भले लोग - बुरे लोग

किसी बड़े शहर की एक ग्रुप-हाऊसिंग सोसाइटी में कई ब्लॉक्स थे. चौकीदारी के लिए एक व्यक्ति को नियुक्त किया हुआ था. चौकीदार के परिवार में उसकी पत्नी और ८ साल का एक बेटा टिनटिन ही थे. सोसाइटी के पास ही एक कमरे में यह परिवार रहता था. रात भर चौकीदार ड्यूटी करता, और सुबह जब वह सोता था तो उसका बेटा सोसाइटी के गेट पर ड्यूटी करता.

दिन में जब किसी फ्लैट की मेमसाब को कोई छोटा मोटा काम होता तो वह टिनटिन को बुला लेती. इस तरह बेचारा टिनटिन दिन भर गेट की ड्यूटी के साथ साथ, एक फ्लैट से दुसरे फ्लैट में भागता रहता और मेमसाब लोगों का काम करता रहता. बदले में उसे बचा-खुचा खाना और पुराने कपड़े मिलते थे.

अचानक एक दिन टिनटिन गेट पर नज़र नहीं आया. सोसाइटी की सारी औरतें परेशान हो गई. इतने काम पड़े हैं और टिनटिन लापता. जब दिन भर टिनटिन नज़र नहीं आया तो शाम को कुछ औरतें इकट्ठी हो कर उसके घर पता करने गईं, कि टिनटिन क्यों नहीं आया. 

टिनटिन की माँ ने उन्हें बताया की किसी भलेमानस साहब ने उसका स्कूल में दाखिला करवा दिया है और उसकी पढ़ाई का सारा खर्च भी वही साहब करेंगे. 

वे औरतें जब चौकीदार के घर से बाहर निकलीं तो उनके मन में उन भलेमानस साहब के लिए बेहद गुस्सा था. क्योंकि उनका मुफ्त का नौकर जो उनसे छिन गया था.

भले ही उन औरतों के मन में उन साहब के प्रति घृणा और गुस्सा था, पर उन साहब की अच्छाई से एक बालक का भविष्य बनने जा रहा था.

यह कहानी मैंने इन्टरनेट पर कहीं पढ़ी थी.

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