एक बच्चा एक पिल्ला खरीदने के लिए पालतू जानवरों की दुकान पर गया. वहां चार पिल्ले एक साथ बैठे थे. कीमत पूछने पर
दुकानदार ने कहा 1000 रुपये प्रत्येक. वहीँ एक पिल्ला एक कोने में अकेले बैठा हुआ था.
बच्चे ने पूछा कि क्या वह पिल्ला भी उसी नस्ल
का है, जिस नस्ल के बाकी चारों हैं?
दुकानदार ने कहा हाँ यह भी इसी नस्ल का है, पर यह बिक्री के लिए नहीं है.
बच्चे ने पूछा जब यह इसी नस्ल का है तो यह
बिक्री के लिए क्यों नहीं है? और वह अकेला क्यों बैठा है?
दुकानदार ने कहा इस पिल्ले में एक विकृति है, इसलिए बिक्री के लिए नहीं है.
क्या विकृति बच्चे ने पूछा?
दुकानदार ने कहा जन्म से ही इसका एक पैर काम
नहीं करता. इसीलिए यह बाकी पिल्लों से अलग रहता है.
बच्चे ने पुछा "आप इस एक के साथ क्या
करेंगे?" दुकानदार ने कहा इसे सुला दिया जायेगा.
बच्चे ने पूछा कि क्या वह उस पिल्ले के साथ खेल सकता है?
दुकानदार ने कहा "ज़रूर"
बच्चे ने पिल्ले को उठाया और पिल्ला उसे चाटने लगा.
बच्चे ने कहा कि वह उस पिल्ले को खरीदना चाहता है.
दुकानदार ने फिर कहा "यह बिक्री के लिए नहीं है!"
परन्तु बच्चे के जोर देने पर दुकानदार सहमत हो गया.
बच्चे ने 200 रुपये दुकानदार को देते हुए कहा कि वह बाकी पैसे ले कर जल्द ही आ जाएगा.
जैसे ही बच्चा बाहर निकलने लगा, दुकानदार ने कहा " मुझे समझ नहीं आ रहा, जब तुम इतनी ही कीमत में एक अच्छा पिल्ला खरीद सकते हो, तो इसके लिये पूरे पैसे क्यों दे रहे हो?"
बच्चे ने एक शब्द भी नहीं कहा. उसने सिर्फ अपने पतलून का बायाँ पैर उठा लिया. उसने उस पैर में एक ब्रेस पहन रखा था . दुकानदार ने नम आँखों से कहा " मैं समझ गया. तुम इसे यूँ ही ले लो"
दोस्तों यह है समानुभूति (empathy).
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