यह दो भाइयों की कहानी है. एक भाई नशेड़ी शराबी था और अक्सर अपने परिवार के साथ मारपीट करता था. वहीँ दूसरा भाई समाज का एक सम्मानित व्यक्ति, अपने परिवार का प्रिय और बहुत ही सफल व्यवसायी था.
लोगों को आश्चर्य होता कि, एक ही माता पिता की संतान, एक ही वातावरण में पले-बढे यह दोनों भाई इतने अलग कैसे हो सकते हैं? पता लगाना चाहिए.
पहले भाई से पूछा गया, "आप ऐसा क्यों करते हैं? आप एक नशेड़ी शराबी हैं और अपने परिवार वालों से मार-पीट करते हैं. आपको ऐसा करने की प्रेरणा कहां से मिलती है?"
उसने कहा, "मेरे पिता से. मेरे पिता एक नशेड़ी थे, शराब के नशे में वह अपने परिवार को मारते-पीटते थे. तुम मुझसे कैसा होने की उम्मीद करते हो? मेरा बाप भी ऐसा करता था. मुझे पूछते हो कि मैं ऐसा क्यों कर रहा हूँ ?"
अब वे दुसरे भाई के पास गये, जो सब कुछ सही कर रहा था, और उसे एक सवाल पूछा, "आप कैसे सब कुछ सही कर रहे हैं? आपकी प्रेरणा का स्रोत क्या है?"
और जानते हैं उसने क्या उत्तर दिया? "मेरे
पिता मेरी प्रेरणा का स्रोत हैं. मैं एक छोटा बच्चा था, मैं अपने पिता को शराब पीते और सब गलत बातें
करते देखा करता था. मैंने मन बना लिया कि मुझे ऐसा नहीं बनना है."
दोस्तों! दोनों भाइयों की प्रेरणा का स्रोत एक ही व्यक्ति था, लेकिन एक भाई ने नकारात्मक प्रेरणा ली जब कि दूसरे ने सकारात्मक प्रेरणा. नकारात्मक प्रेरणा आसान रास्ते पर चलने की इच्छा जगाती है परन्तु उसका परिणाम सदैव दुखद होता है.
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