Friday, 15 November 2013

काम का मूल्यांकन

एक छोटे शहर में एक दुकान के बाहर एक पब्लिक टेलीफोन बूथ था. एक दिन एक लड़का वहां आया और फ़ोन करने लगा. दुकानदार उस समय कुछ खाली था सो उस लड़के की बातें सुनने लगा.

फ़ोन मिलने पर लड़के ने कहा, "नमस्ते मैडम, क्या मुझे आपके यहाँ माली का काम मिल सकता है?"

दूसरी तरफ से महिला ने उत्तर दिया, "परन्तु हमारे पास तो पहले से ही एक माली है."

लड़का बोला, "मैडम मैं उस व्यक्ति से आधी तनख्वाह में भी काम करने को तैयार हूँ."

इस पर महिला ने कहा, "मैं अपने वर्तमान माली के काम से बहुत संतुष्ट हूँ."

लड़के ने अब अधिक दृढ़ता के साथ कहा, "मैडम मैं माली का काम करने के साथ साथ, आपके घर का झाड़ू-पोछा मुफ्त में कर दूंगा."

महिला ने कहा, "नहीं, शुक्रिया."
अपने चेहरे पर एक मुस्कान लिये, लड़के ने फ़ोन का रिसीवर रख दिया. 
दुकान का मालिक, जो यह सब सुन रहा था, लड़के के पास गया और कहा, "बेटा! मुझे तुम्हारा रवैया बहुत पसंद आया, मुझे लगता है कि तुम्हे नौकरी की सख्त जरूरत है. मैं तुम्हे नौकरी दूंगा."

लड़के ने कहा, "नहीं, धन्यवाद."

इस पर दुकानदार ने कहा, "लेकिन अभी तो तुम नौकरी के लिए विनती कर रहे थे?"


लड़का बोला, "नहीं सर , मैं तो बस अपने काम का मूल्यांकन कर रहा था. इन महिला के यहां मैं ही माली का काम देखता हूँ और जानना चाहता था कि मैं अपना काम ठीक से कर रहा हूँ या नहीं?"
दोस्तों! काम छोटा हो या बड़ा, पूरी निष्ठा एवं इमानदारी से करना चाहिये. साथ ही साथ अपने कार्य का समय समय पर मूल्यांकन भी करते रहना चाहिये.

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