Wednesday, 13 November 2013

बाज़ का अंडा

एक बार किसी बच्चे ने शरारत में, एक बाज़ के अंडे को जंगली मुर्गियों के अंडों के साथ रख दिया. कुछ दिन बाद अंडों में से चूजे निकल आये. उस बाज़ के अंडे से भी एक बाज़ का बच्चा निकल आया. वह उन चूजों के साथ ही पलने बढ़ने लगा. उन्ही की तरह व्यवहार करता, उन्ही की तरह आवाजें निकालता, उन्ही की तरह भोजन खोजता और कुछ फुट की उंचाई तक उड़ लेता. उसे लगता था कि वह भी अन्य मुर्गियों की तरह एक मुर्गी ही है. उसे अपनी असली पहचान पता नहीं थी. अपनी क्षमताओं से अनजान वह बाज़ स्वयं को एक मुर्गी समझ कर, एक मुर्गी जैसा ही जीवन व्यतीत कर रहा था.

उसने एक दिनखुले आसमान में शाही शान से एक बाज को उड़ते देखा. उसे बहुत आश्चर्य हुआ. उसने मुर्गियों से पूछा कि, "यह सुंदर पक्षी कौन है?" 

मुर्गियों ने कहा "वह एक उत्कृष्ट पक्षी हैवह एक बाज है और ऊंची उड़ान भर सकता है. लेकिन तुम सिर्फ एक जंगली मुर्गी हो अतः तुम उसकी तरह नहीं उड़ सकते." 

उस बाज को इसी बात पर विश्वास हो गया कि वह एक मुर्गी है और वह ऊंची उड़ान भरने में अक्षम है. बाज़ होते हुए भी उसने एक मुर्गी का जीवन जिया और एक मुर्गी की तरह ही मर गया क्योंकि अज्ञानता वश उसने स्वयं को अपनी विरासत से वंचित रखावह क्या था, और अज्ञानता एवं परिस्थितियों ने उसे क्या बना दिया?

दोस्तों! यह तो एक बाज़ की कहानी थी. पर क्या आपको नहीं लगता कि हम में से बहुत से लोग, अपनी असली सामर्थ्य (capability) से अनजान रहते हुए अज्ञानता-वश, वह सब कुछ नहीं कर पाते जो वह कर सकते हैं. परिस्थितियों-वश या अन्य कारणों से वे अपनी शक्तियों एवं सामर्थ्य से अनजान होने के कारण, इन शक्तियों एवं सामर्थ्य को साधारण कार्यों में बर्बाद कर देते हैं. उन्हें पता ही नहीं होता की वह भी एक विजेता बनने के लिए पैदा हुए हैं. 


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