एक बुद्धिमान व्यक्ति रहीम चाचा अपने गांव के बाहर बैठा हुआ था.
तभी एक यात्री आया और उनसे पूछा, "मुझे मेरे वर्तमान गांव को छोड़ कर किसी और गांव में बसना है. क्या आप बता सकते हैं कि इस गांव में कैसे लोग रहते हैं?
"तुम्हारे वर्तमान गांव में कैसे लोग हैं?" रहीम चाचा ने पूछा.
उस व्यक्ति ने कहा, "वहां मतलबी, क्रूर, और घटिया लोग रहते हैं."
रहीम चाचा ने कहा, "इसी तरह के लोग इस गांव में भी रहते हैं." सुन कर वह व्यक्ति आगे बढ़ गया.
कुछ समय बाद एक अन्य यात्री आया और रहीम चाचा से वही सवाल पूछा.
"तुम्हारे वर्तमान गांव में कैसे लोग हैं?" रहीम चाचा ने उससे भी पूछा.
यात्री ने कहा, "मेरे गांव के लोग बहुत, विनम्र, सहृदय और अच्छे हैं."
रहीम चाचा ने कहा, "तुम्हे यहां भी वैसे ही लोग मिलेंगे."
आप सोच रहे होंगे की रहीम चाचा ने ऐसा क्यों किया. आम तौर पर हम दुनिया को उस तरह नहीं देखते जैसी वो है. बल्कि उस नजरिये से देखते हैं, जैसे हम खुद हैं. अधिकतर, अन्य लोगों का व्यवहार हमारे खुद के व्यवहार की एक प्रतिक्रिया है.
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