एक बड़ा उत्सव चल रहा था. एक आदमी और उसकी मंगेतर शादी कर रहे थे. दोनों के दोस्त, रिश्तेदार और परिवार के सभी लोग शादी के समारोह में हिस्सा लेने के लिए आये थे. दुल्हन अपने शादी के जोड़े में बहुत खूबसूरत लग रही थी, और दूल्हा अपनी शेरवानी में. ख़ुशी-ख़ुशी शादी संपन्न हो गई.
कुछ
महीने बाद, पत्नी एक प्रस्ताव के साथ पति के पास आई: "हम
अपनी शादी को और भी मजबूत कर सकते हैं, इसके बारे में कुछ समय पहले मैंने एक पत्रिका
में पढ़ा था. हम दोनों अलग-अलग अपनी-अपनी एक लिस्ट बनायेंगे और उसमें वह सब बातें लिखेंगे, जो हमें, एक दूसरे में पसंद नहीं हैं. फिर हम दोनों साथ बैठ कर अपनी-अपनी लिस्ट पढेंगे और प्रकार हम उन चीज़ों को दूर कर सकेंगे जो दूसरे को पसंद नहीं हैं."
पति भी इस बात पर सहमत हो गया. दोनों ने तय किया कि अगले दिन सुबह नाश्ते के समय दोनों अपनी अपनी लिस्ट पढेंगे. वे दोनों, दिन भर, आराम से इस सवाल के बारे में सोचते रहे.अगली सुबह, नाश्ते की मेज़ पर, वे अपनी अपनी लिस्ट के साथ उपस्थित थे."पहले मैं शुरू करूंगी" पत्नी ने कहा और अपनी लिस्ट बाहर निकाली. इस में कई आइटम थे. उसने छोटी बड़ी सब बातें लिखते लिखते 3 पेज भर रखे थे.
पत्नी ने अपनी छोटी-छोटी नाराजगियों की लिस्ट पढनी शुरू की. उसके पति की आंखों में आंसू दिखाई देने लगे."क्या हुआ?" उसने पूछा. "कुछ नहीं, तुम अपनी लिस्ट पढो." पति ने कहा.अपनी 3 पेज की लिस्ट पढने के बाद उसने कहा, "अब आप अपनी लिस्ट पढिये. फिर हम दोनों लिस्ट के बारे में विचार करेंगे."पति ने कहा, "मेरी लिस्ट में कुछ भी नहीं है, तुम सुंदर और अद्भुत हो. तुम जैसी हो, मेरे लिये परिपूर्ण हो. मैं नहीं चाहता, कि तुम मेरे लिए अपने आप को बदलो."
पति की ईमानदारी और अपने लिए उसके प्यार को देख कर, पत्नी बहुत खुश हो गई. अब आंसू उसकी आँखों में छलक रहे थे.कोई भी समझदार पति यदि अपनी पत्नी में कुछ बात नापसंद करता है तो उसे पत्नी की कोई और बात पसंद होती है, जो नापसंद बात को महत्वहीन कर देती है.जीवन में कई बार हम निराश हो जाते हैं और एक दुसरे में बुराइयां ढूंढना शुरू कर देते हैं. यदि हमें रिश्तों में मजबूती लानी है, तो हमें एक दुसरे के अवगुण ढूँढने की अपेक्षा उसकी अच्छाइयां ढूंढनी चाहिए. ईश्वर ने सौंदर्य, प्रकाश और नेमतों से भरी, एक अद्भुत दुनिया हमें दी है. क्यों हम बुरी, निराशाजनक या कष्टप्रद चीजों की
तलाश में समय बर्बाद करते हैं? हम में से कोई भी पूर्ण नहीं है. लेकिन फिर भी हम दूसरों में पूर्णता ढूंढते हैं. हम यदि दूसरों की कमियों के बजाय, गुणों को देखें, कठिनाइयों के समय दूसरे की सहायता करें, तो रिश्ते अवश्य ही सुन्दर और मज़बूत बनेंगे.
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