Wednesday, 20 November 2013

रास्ते का पत्थर

बहुत पुरानी बात है. एक राजा ने एक दिन बीच सड़क पर एक बड़ा पत्थर रख दिया और पास ही झाड़ियों के पीछे छुप कर बैठ गया. राज्य के धनी व्यापारी और दरबारियों में से कुछ उस सड़क से गुजरे. हर कोई उस पत्थर से बच कर निकल गया. किसी ने भी उसे हटाने के लिये नहीं सोचा. उल्टे उनमें से अधिकतर लोग बडबडाते हुए जा रहे थे कि राजा नगर और सड़कों का ध्यान नहीं रखता. और तो और उनमें राज्य के वह अधिकारी भी थे जिनका काम सड़कों का ध्यान रखना था.

तभी सिर पर सब्जियों की भारी टोकरी लिये एक किसान वहां आया और बीच राह में पत्थर देख ठिठक कर रुक गया. उसने अपनी सब्जियों की टोकरी एक तरफ रखी और उस पत्थर को सड़क से हटाने का प्रयास करने लगा. पत्थर बहुत बड़ा और भारी था, इसलिए किसान को बहुत जोर लगाना पड़ रहा था. इसी बीच कई और लोग वहां से गुजरे पर किसी ने भी किसान की सहायता नहीं की. उल्टे उसका मजाक उड़ाया, "देखो कितना पागल है, बेकार इतनी मेहनत कर रहा है". काफी देर मेहनत करने के बाद वह उस पत्थर को सड़क से हटाने में सफल हो गया.

किसान ने अपना पसीना पोंछा और अपनी सब्जियों की टोकरी उठा कर चलने लगा. तभी झाड़ियों के पीछे से निकल कर राजा सामने आ गया. राजा ने किसान की बहुत सराहना की और उचित इनाम दिया. 

हर बाधा हमारे लिये एक सुअवसर प्रस्तुत करती है.

No comments: