मैंने बचपन में एक दोहा पढ़ा था.
शायद आप लोगों में से बहुतों ने पढ़ा होगा:
कनक
कनक ते सौ गुनी, मादकता अधिकाय,
वा
खाये बौराय जग, या पाये बौराय.
अर्थात सोने
(धन) में धतूरे से सौ गुना अधिक नशा होता है, क्योंकि धतूरा तो खाने से नशा
करता है, जबकि सोना (धन)
पाने मात्र से नशा हो जाता है. सोना पाना या धन पाना, अर्थात
अमीर होना. बहुत से लोग कहते रहते हैं,
"आदमी को अमीर नहीं होना चाहिए, क्योंकि
पैसा आदमी को बुराई की और ले जाता है. पैसा ही सब बुराइयों की जड़ है. अमीर आदमी
कभी सुखी नहीं होता" आदि आदि. परन्तु ये कौन लोग हैं? ये वो
लोग हैं जो खुद अमीर नहीं बन पाए, और यदि खुद अमीर बन भी गए तो, दूसरों
को अमीर होते देखना नहीं चाहते.
यदि अमीर होना
बुरी बात होती तो मैं, आप, या
अन्य कोई भी इंसान अमीर बनना नहीं चाहता. यह बात सच है कि दौलत का अपना एक नशा
होता है. पर यह हम पर निर्भर करता है कि हम इस नशे का, हलके
सुरूर की तरह आनंद लेते हैं, या यह नशा हमारे सिर चढ़ कर बोलता
है? अमिताभ
बच्चन की फिल्म 'शराबी' का प्रसिद्द
गीत "नशा शराब में होता तो नाचती
बोतल" आपने भी सुना होगा. दोस्तों! नशा शराब में नहीं, पीने
वाले की सोच में होता है. कुछ लोग शराब के सुरूर का आनंद लेते हैं, जबकि
कुछ अन्य लोग अत्यधिक शराब पी कर उधम मचाते हैं और सब को परेशान करते हैं. उसी तरह
सज्जन व्यक्ति अपने धन के अनोखे सुरूर का आनंद लेते हैं, जब कि
दूसरी तरह के लोग धन पाने के बाद इंसान को इंसान नहीं समझते और संसार की हर बुराई
को अपना लेते हैं. प्रसिद्द संत रहीम दास जी ने कहा है:
जे
रहीम उत्तम प्रकृति, का करि सकत
कुसंग,
चन्दन
विष व्यापै नहीं, लिपटे रहत
भुजंग.
बहुत नशा होता
है दोस्तों धन में, पर हमें उसका सदुपयोग करना है, दुरूपयोग
नहीं. हमें इसके गुणों का लाभ उठाना है. महात्मा गाँधी ने भी अपने seven-sins में कहा है, Wealth is not a sin, but wealth without work is a sin.
मनुश्य का शरीर
पांच तत्वों से बनता है, अग्नि, जल, वायु, आकाश
और पृथ्वी. यही पाँचों तत्व अर्थात शक्तियां (energy) मनुष्य के शरीर को जीवन भर चलाती
हैं. पर आज के युग में एक और शक्ति बहुत आवश्यक है, और वह है धन.
बच्चा पैदा होते ही उसे भूख लगती है, उसे दूध चाहिए जो माँ से मिल
जाता है. थोड़ा बड़ा होता है तो उसे खाना चाहिए, पहनने को कपड़े चाहिए, सिर पर
छत चाहिए, थोड़ा और बड़ा होता है तो खिलोने
चाहिए. स्कूल जाने लगता है तो पुस्तकें, पेंसिल, यूनिफार्म, स्कूल-फीस
चाहिए, स्कूल-बस
चाहिए, खेल
कूद का सामान चाहिए, थोड़ा और बड़ा होता है तो साईकिल
चाहिए, बाइक
चाहिए. 20-25 वर्ष
की आयु तक उसका सारा खर्च माँ-बाप उठाते हैं. शादी में खर्च, शादी
के बाद पत्नी का खर्च, फिर बच्चों का भी. बीमार हो गए
तो इलाज का खर्च, रहने के लिए घर, आवागमन
के लिए बाइक या कार, बात करने के लिए मोबाइल, काम
करने के लिए लैपटॉप और भी न जाने क्या-क्या. यह सब, क्या पैसे के
बिना संभव है? नहीं. जन्म से ले कर मृत्यु तक हर काम में पैसे की आवश्यकता होती है. आज के युग में
बिना पैसे के जीवन संभव ही नहीं है. शायद इसीलिए, पैसे अर्थात धन
को आज के युग में, जीवन को चलाने वाली छठी energy माना जाता है.
हाँ तो हम बात
कर रहे थे कि, "क्या आप अमीर
बनना चाहते हैं?" आपका उत्तर मैं जानता हूँ.
परन्तु एक बार पूरे मन से आप मुझे और अपने आप से कहिये कि आप अमीर बनना चाहते हैं.
अपने लक्ष्य निर्धारित कीजिये. यदि आपने मेरे पहले के लेख पढ़े हैं तो आप जन चुके
होंगे कि लक्ष्य निर्धारण क्यों, कैसे और किस प्रकार के निर्धारित
करें. आपने अपनी सक्सेस डायरी बनाई होगी और उसमें अपने लक्ष्य लिखे भी होंगे, ऐसा
मेरा विश्वास है. अगर नहीं बनाई है तो कोई बात नहीं. चलिए अब बना लीजिये और उसके
पहले पेज पर अपने लक्ष्य स्पष्ट रूप से लिख लीजिये.
दोस्तों! जैसा
कि हम सब अच्छी तरह जानते हैं कि जीवन में कुछ भी मुफ्त नहीं मिलता. (There are no free lunches) हमें हर चीज की कीमत चुकानी पड़ती
है. आपका अपनी सफलता का सपना, अमीर बनने का सपना भी ऐसे ही
पूरा होने वाला नहीं है. इसके लिये भी आपको कीमत चुकानी पड़ेगी. आप इस लेख को पढ़
रहे हैं, इसका अर्थ है कि आप अपनी सफलता
के और अमीर बनने के सपने की कीमत चुकाने के लिये काफी हद तक तैयार हैं. फिर भी, अपनी
सक्सेस डायरी के दुसरे पेज पर निम्नलिखित प्रश्न और उनके सामने उनके उत्तर लिखिए:
1. क्या
आप ऐसे लोगों को छोड़ने के लिए तैयार हैं, जो आपकी तरक्की, आपकी
सफलता में रूकावट पैदा करते हैं?
2. क्या
आप प्रेरणा-दायक पुस्तकें, लेख आदि पढने एवं इसके विडियो
देखने के लिए तैयार हैं?
3. क्या
आप प्रेरणा-दायक और self-development सेमिनार
या वर्कशॉप अटेंड करने के लिए तैयार हैं?
4. क्या
आप TV serials को छोड़
कर news-channels, business channels देखने
के लिए तैयार हैं?
5. क्या
आप सफल और अमीर व्यक्तिओं की जीवनियाँ (biographies) पढने के लिए तैयार हैं?
6. क्या
आप अपनी सोच में से नकारात्मकता को निकालने के लिए तैयार हैं?
7. क्या
आप सफल एवं अमीर व्यक्तियों के साथ उठने-बैठने, उनकी संगति करने के लिये तैयार
हैं?
यदि इन सब प्रश्नों का उत्तर हाँ है तो आप सही रास्ते पर
हैं. आपको सफल होने से, अमीर बनने से कोई भी रोक नहीं सकता. यदि इनमें से एक भी
प्रश्न का उत्तर ना में है, तो पहले उस ना को हाँ में बदलीये और फिर आगे बढिए. आइये अब
इन प्रश्नों को थोड़ा गहराई में समझने का प्रयास करते हैं.
बचपन से ही हमें माता-पिता, रिश्तेदारों, दोस्तों आदि से यही सुनने को मिलता है कि पैसे से प्यार मत करो. यहाँ तक कि जब
हम किसी धार्मिक स्थान पर जाते हैं तो वहां भी यही प्रवचन सुनने को मिलता है. पर
क्या यह सब लोग पैसे से प्यार नहीं करते? शायद करते हैं, पर अन्दर ही अन्दर. या फिर शायद वह इस बात से अनजान हैं कि, जाने-अनजाने उन्हें भी पैसे से प्यार है. इनमें से किसी से किसी से भी पूछ कर
देखिये क्या उन्हें बड़ा और सुन्दर घर नहीं चाहिये? बड़ी कार नहीं
चाहिये? महंगा मोबाइल फ़ोन नहीं चाहिये? बच्चों की अच्छी शिक्षा नहीं चाहिये? यदि चाहिये, तो क्या यह सब, बिना पैसे के आ जाएगा?
आप ऐसे दोस्तों को छोड़ सकते हैं, अन्य लोगों को छोड़ सकते हैं, पर अपने परिवार एवं रिश्तेदारों को नहीं. क्या करेंगे आप? उत्तर बेहद आसान है. आप अपने ऊंचे लक्ष्यों एवं अमीर बनने की चाहत को ऐसे
लोगों से शेयर ना करें. और उनकी नकारात्मक बातों को अनदेखा करें. इस विषय पर फिर
किसी लेख में विस्तार से चर्चा करेंगे.
जब आप प्रेरणादायक (inspirational
and motivational) लेख या पुस्तकें पढ़ते हैं, विडियो देखते हैं, सेमिनार या वर्कशॉप अटेंड करते हैं, तो अन्दर ही अन्दर आप में एक अनोखी चेतना का संचार होता है, आपकी इच्छाशक्ति बढती है, आप एक प्रकार के जोश से भर जाते हैं और आपकी सफलता की राह
आसान हो जाती है. आप अपने अमीर बनने के सपने के और अधिक करीब हो जाते हैं. सफल एवं
अमीर लोगों की जीवनियाँ (biographies) पढने से भी आप
ऐसे ही जोश से ओतप्रोत हो जाते हैं. यार! मुझे भी ऐसा बनना है.
आपके जीवन में
इस बात से कोई अंतर नहीं पड़ता कि आनंदी कितनी बार बदल गई है,
या फिर जगिया की शादी गंगा से होती है साँची से. इन फ़ालतू के TV
serials में व्यर्थ समय बर्बाद करने की अपेक्षा न्यूज़ चैनल्स या
बिज़नेस चैनल्स आपके ज्ञान को कहीं अधिक बढ़ाएंगे जो आपको अपनी सफलता की और बढ़ने में
सहायक होगा. हां थोड़ी देर मनोरंजन भी आवश्यक है.
आपकी सकारात्मक
या नकारात्मक सोच ही आपके भविष्य का निर्धारण करती है. वो कहते हैं ना कि जो हम
सोचते हैं, वही हम बन जाते हैं. विचारों की
नकारात्मकता हमें आगे बढ़ने से रोकती है, जबकि
सकारात्मक सोच हमें सफल होने में, अमीर बनने में सहायता करती है. इस विषय पर फिर किसी लेख में विस्तार से चर्चा करेंगे.
जब आप सफल एवं अमीर लोगों के साथ मेल जोल बढ़ाते हैं, उनके साथ उठते बैठते हैं, तो उनके विचारों से,
उनकी सोच से अवगत होते हैं. उनकी संगति
का सकारात्मक असर आपके व्यक्तित्व पर पड़ता है. आपकी सोच सकारात्मक होने लगती है, और आप अपने अमीर बनने के सपने के और अधिक करीब आ जाते हैं.
यह लेख बहुत बड़ा हो जाएगा. इसलिए शेष भाग अगले लेख में.
अपने सपनों को
साकार करने के लिये मेरे आर्टिकल्स पढ़ते रहिये, अपनी राय मुझे कमेंट्स के माध्यम से
भेजते रहिये. तब तक के लिए शुभ-रात्रि, good-night, शब्बाखैर. CA बी. एम्. अग्रवाल
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