Saturday, 9 November 2013

भगवान मुझे बचा लेगा

एक बार एक छोटे शहर में बाढ़ आ गई. सब लोग सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए भागे. परन्तु एक व्यक्ति कहीं जाने को तैयार नहीं था. "भगवान मुझे बचा लेगा. मुझे विश्वास है." उसने कहा.

जैसे जल स्तर कुछ बढ़ा, एक जीप उसके बचाव के लिए आई. उस आदमी ने इनकार कर दिया, "भगवान मुझे बचा लेगा. मुझे विश्वास है." 

कुछ घंटों में जल स्तर और बढ़ा तो वह पहली मंजिल पर चढ़ गया. एक नाव उसकी मदद के लिए आईफिर उसने कहा, "भगवान मुझे बचा लेगा. मुझे विश्वास है." और जाने के लिए मना कर दिया. पानी का स्तर बढ़ता जा रहा था. अब वह आदमी दूसरी मंजिल पर चढ़ गया. एक हेलीकाप्टर उसके बचाव के लिए आया, लेकिन उसने कहा, "भगवान मुझे बचा लेगा. मुझे विश्वास है." 

खैर, अंत में वह डूब गया. मर कर वह ईश्वर के पास पहुंचा, और बहुत गुस्से में बोला, "मुझे तुम पर पूरा भरोसा था. क्यों तुमने मेरी प्रार्थना की उपेक्षा की और मुझे डूब जाने दिया?" 

"तुम्हें क्या लगता है? मैंने तुम्हारी प्रार्थना नहीं सुनी? तो फिर जीप, नाव, और हेलिकॉप्टर किसने भेजा?" ईश्वर ने कहा.

दोस्तों! घातक भाग्यवादी दृष्टिकोण पर काबू पाने के लिए केवल एक ही रास्ता है. जिम्मेदारी स्वीकार करो, और केवल भाग्य में विश्वास के स्थान पर, कारण और प्रभाव (cause and effect) में अधिक विश्वास रखो.


जीवन में कुछ भी केवल चाहने से हासिल नहीं होगा. योजनाबद्ध तरीके से तैयारी कर के
 कार्रवाई करने से ही सफलता मिलती है.

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