Thursday, 7 November 2013

दूसरी महिला के साथ डिनर (Spend Time With Your Family)

शादी के 21 साल बाद, एक दिन मेरी पत्नी मुझे बाहर खाना खाने और एक फिल्म के लिए एक अन्य महिला के साथ भेजना चाहती थी. उसने कहा, " मैं तुमसे प्यार करती हूँ, लेकिन यह दूसरी औरत भी तुम्हें प्यार करती है और तुम्हारे साथ कुछ समय बिताना चाहती है."

मेरी पत्नी मुझे जिस अन्य महिला के साथ भेजना चाहती थी, वह मेरी माँ थी, जो 15 साल से एक विधवा का जीवन बिता रही थी. इस बीच, अपने काम की व्यस्तता और बच्चों के कारण मैं कभी-कभी उनसे मिलने जा पाता था. उस रात मैंने माँ को रात के खाने और एक फिल्म देखने के लिए आमंत्रित करने के लिए फ़ोन किया.

मेरी माँ देर रात, फ़ोन कॉल को किसी बुरी खबर का एक संकेत मान कर घबरा गई और पूछा, " क्या बात है, तुम सब ठीक तो हो? " 
"माँ बहुत लम्बे अरसे से मैं आपके साथ कुछ समय नहीं बिता पाया, मुझे लगता है कि आप के साथ कुछ समय बिताना हम दोनों के लिए सुखद होगा" मैंने जवाब दिया . "माँ! सिर्फ हम दोनों." माँ एक पल के लिए कुछ सोचने लगी और फिर कहा, "मुझे लगता है कि बहुत अच्छा रहेगा."

माँ को लेने के लिए जब मैं उनके घर पर तो देखा माँ दरवाजे पर ही मेरा इंतजार कर रही थी. माँ इस बात से बहुत उत्साहित थीं. एक फ़रिश्ते की भांति उनके चेहरे पर एक बहुत मीठी मुस्कान थी. माँ ने कहा कि जब उन्होंने अपनी सहेलियों को यह बताया की आज वह मेरे साथ बाहर घूमने जा रही हैं, तो वे सब भी बहुत प्रभावित हुईं. 

हम पास के 
एक रेस्तरां में गए. रेस्तरां बहुत सुंदर था, हालांकि, बहुत अच्छा और आरामदायक था. माँ के साथ उनका मनपसंद खाना खाया. एक उदासीन मुस्कान उसके होठों पर थी . खाने के दौरान हम बातें करते रहे, एक दुसरे का हाल पूछते रहे. हम फिल्म के दौरान भी बातें ही करते रहे. जब मैं माँ को घर माँ ने कहा, "हम फिर कभी दुबारा इसी तरह घूमने चलेंगे, पर इस बार तुम्हे मैं बुलाऊंगी."  मैं सहमत हो गया और वापस अपने घर जाने के लिए माँ से विदा मांगी. माँ ने एक डिब्बा ला कर मुझे दिया और कहा, "थोडा मूंग दाल का हलवा है, तेरे लिए बनाया था. तुझे बहुत पसंद है ना". सजल आँखों से माँ ने मुझे विदा किया.

जब मैं घर गया "आपका डिनर कैसा रहा? " मेरी पत्नी ने पूछा. 

"बहुत अच्छा. इतना अच्छा जितनी मैंने कल्पना भी नहीं की थी, "मैंने जवाब दिया.

कुछ दिनों बाद , मेरी मां का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. यह 
इतना अचानक हुआ कि मैं उसके लिए कुछ भी नहीं कर सका. कुछ समय बाद, मुझे एक लिफाफा मिला. इसमें उस रेस्तरां रसीद थी जिसमें मैं माँ को ले कर गया था. साथ में माँ का लिखा एक पत्र था. पत्र में लिखा था, " मैंने पहले से इस बिल का भुगतान कर दिया है, हालाँकि, मुझे विश्वास नहीं था कि मैं फिर वहां तुम्हारे साथ जा पाउंगी या नहीं. लेकिन फिर भी , मैंने दो प्लेटों के लिए भुगतान कर दिया है - तुम्हारे और तुम्हारी पत्नी के लिए. उस रात तुम्हारा मुझे घुमाने एवं डिनर के लिए ले जाना मेरे लिए क्या माने रखता है, यह शायद तुम कभी नहीं समझ पाओगे. बहुत बहुत प्यार - तुम्हारी माँ."

उस पल मुझे समझ आया कि अपने प्रियजनों के साथ समय बिताना कितना ज़रूरी है, और समय रहते उन्हें यह कहना, “I LOVE YOU”.