Tuesday, 12 November 2013

असफलता, सफलता का राजमार्ग है

सुनने में बात शायद कुछ अटपटी लगे, परन्तु असफलता, सफलता के लिए राजमार्ग (highway) है. टॉम वाटसन सीनियर (इंटरनेशनल बिजनेस मशीन के अध्यक्ष और सीईओ) ने तो यहां तक कहा है कि, "यदि आप सफलता चाहते हैं, तो अपनी असफलता की दर दोगुनी कर दीजिये." यदि हम इतिहास का अध्ययन करें तो हम पायेंगे कि, सफलता की सारी महान कहानियाँ, महान असफलताओं की भी कहानियाँ हैं. लेकिन सफल लोगों की विफलतायें, अक्सर दूसरों को नहीं दिखती. लोगों को तस्वीर का केवल एक पहलू दिखता है, सफलता वाला पहलू, और लोग कहते हैं, "वह व्यक्ति भाग्यशाली रहा होगा. उसे उचित समय पर अवसर मिला होगा." परन्तु सफलता से पहले या बाद में, उस सफल व्यक्ति ने भी अवश्य, कई बार असफलताओं या विफलताओं का मूंह देखा होगा. यहां हम कुछ महान व्यक्तियों की संक्षिप्त कहानियों का उदहारण देखते हैं.

एक 21 साल का व्यक्ति व्यापार में विफल रहा, 22 साल की उम्र में एक विधायी चुनाव हारा, 24 साल की उम्र के कारोबार में फिर से विफल रहा. 26 साल की उम्र में उनकी पत्नी का निधन हो गया, 27 साल की उम्र में उन्हें तंत्रिका-विकार (nervous breakdown) हुआ; 34 साल की उम्र में कांग्रेस का चुनाव हारा, 45 साल की उम्र में एक प्रशासनिक समितीय चुनाव हारा, 47 साल की उम्र में उपाध्यक्ष बनने के प्रयास में विफल रहा, 49 साल की उम्र में एक प्रशासनिक समितीय चुनाव हारा, और 52 साल की उम्र में संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए. यह आदमी अब्राहम लिंकन था. क्या आप उसे एक विफलता कहोगे? और कोई होता तो शायद हार मान लेता. लेकिन लिंकन हार मानना शायद सीखा ही नहीं था.

1913 में, triodes ट्यूब के आविष्कारक, ली डी फॉरेस्ट, पर जिले के वकील ने आरोप लगाया कि, फारेस्ट ने जनता को अपनी कम्पनी के शेयर को खरीदने के लिएकपटपूर्ण साधनों का उपयोग कर, गुमराह किया. इस आरोप के साथ उन्हें सार्वजनिक रूप से अपमानित किया गया. फारेस्ट ने कहा था, कि वह अटलांटिक के पार तक मानव आवाज संचारित कर सकता है. क्या यह असफलता थी? नहीं. ज़रा सोचिये उनके आविष्कार के बिना क्या होता? फारेस्ट को बाद में 'रेडियो के पिता' के रूप में जाना गया. क्या यह विफलता थी?

KFC के कर्नल सैंडर्स को 65 साल की उम्र में 
एहसास हुआ, जो कुछ उनके पास था (एक टूटी कार और 100 डॉलर) वह कुछ भी नहीं था. तभी उन्हें अपनी मां का नुस्खा याद आया और वह उसे बेचने के लिए निकल पड़े. जानते हैं, अपना पहला आर्डर पाने से पहले उन्होंने कितने दरवाजे खटखटाए होंगेअनुमान है कि अपना पहला आर्डर पाने से पहले उन्होंने एक हजार से अधिक दरवाजों पर दस्तक दी थी. अधिकतर लोग दो तीन कोशिशों के बाद हार मान कर बैठ जाते हैं और कहते हैं जो कुछ हम कर सकते हैं, हमने किया.

एक युवा कार्टूनिस्ट के रूप में, वॉल्ट डिज्नी की प्रतिभा को पहचानने से अखबार वालों ने इनकार कर दिया. कई अखबार के संपादकों से उन्हें 
अस्वीकृति (rejections) का सामना करना पड़ा. एक दिन एक चर्च में एक मंत्री ने कुछ कार्टून बनाने के लिए उसे काम पर रखा. डिज्नी चर्च के पास एक छोटे से शेड के बाहर काम कर रहा था. उस शेड में चूहों ने उधम मचा रखा था. एक छोटे चूहे को देख कर डिज्नी को प्रेरणा मिली. यहीं से मिकी-माउस का जन्म हुआ.

एक दिन एक आंशिक रूप से बधिर (deaf), चार साल का बच्चा अपने घर आया तो उसकी जेब में उसके शिक्षक द्वारा लिखा एक नोट था. नोट में लिखा था, "आपका टॉमी मूर्ख है, यह कुछ भी नहीं सीख सकता. इसे स्कूल से निकाल लीजिये." उसकी मां ने पत्र पढ़ा और उत्तर दिया, " मेरा टॉमी मूर्ख नहीं है, मैं उसे अपने आप सिखाऊंगी." और यही टॉमी बड़ा हो कर महान थॉमस एडीसन बना. थॉमस एडीसन की औपचारिक स्कूली शिक्षा केवल तीन महीने की थी और वह आंशिक रूप से बहरा था. 
जब थॉमस एडीसन बल्ब पर काम कर रहा था, वह लगभग 10,000 बार असफल रहा. क्या यह विफलता थी?

हेनरी फोर्ड अपनी पहली कार में रिवर्स गियर बनाना भूल गया. क्या यह विफलता थी?

युवा बीथोवेन से कहा गया कि उसमें संगीत के लिए कोई प्रतिभा नहीं थी, लेकिन वह दुनिया के लिए कुछ सर्वश्रेष्ठ संगीत दे गया.

क्या आप इन लोगों को असफल मानते हैं? वे सब के सब अभावों में रहते हुए, समस्याओं के बावजूद सफल रहे. लोगों को शायद यह लगता हो कि वे भाग्यशाली थे. परन्तु उनकी सफलता का राज था persistence. 

सफलता की सभी कहानियां, महान असफलताओं की कहानियाँ हैं. फर्क सिर्फ इतना है कि वे लोग विफल रहने पर हार कर नहीं बैठे, अपनी विफलताओं से सबक लेते हुए अपने कार्य में लगे रहे. आप भी अपनी विफलताओं से सीखें और आगे बढ़ें. 

दोस्तों! इंसान जब प्रयत्न करता है तब या तो वह सफल हो जाता है या कुछ सीख जाता है.

कविवर हरिवंश राय बच्चन की कविता की कुछ पंक्तियां यहां उद्धृत करना चाहूँगा:

असफलता एक चुनौती है... स्वीकार करो...
क्या कमी रह गयीदेखो और सुधार करो...
जब तक ना सफल हो नींद-चैन को त्यागो तुम...
संघर्षों का मैदान छोड़ मत भागो तुम...
कुछ किये बिना ही जयजयकार नहीं होती...
हिम्मत करने वालों की कभी हार नही होती... 



1 comment:

Sachin said...

inspiring story and great poem..!!

Heyy, I have shared my Liebster award with you, please have a look
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