Wednesday, 13 November 2013

क्या Law of Attraction काम करता है?

क्या "आकर्षण का सिद्धांत" (Law of Attraction) काम करता है? यह प्रश्न करीब करीब हर उस इंसान के मस्तिष्क में उठता है जो इस को पढता है या इस पर बनी विडियो देखता है. इसका उत्तर है, हां यह काम करता है. परन्तु उस प्रकार नहीं, जिस प्रकार विडियो में दिखाया गया है. विडियो बनाने वाले लोगों को अपना विडियो बेचना है, इसलिए वह हर चीज़ को बहुत आसान बना कर दिखाते हैं, कि बस आपने केवल सोचना है, कुदरत (इश्वर) को एक मेनू-कार्ड की तरह इस्तेमाल करते हुए अपना आर्डर देना है और वह, अलादीन के जिन्न की भांति सब कुछ ला कर आपके क़दमों में डाल देगा. दोस्तों! वास्तविक जिंदगी में ऐसा नहीं होता. 

आइये थोड़ा विस्तार से इस पर विचार करते हैं.

सिद्धांत, कुदरत के बनाये एक प्रकार के नियम हैं, जो निरंतर अपना कार्य करते हैं. इस बात से कोई अंतर नहीं पड़ता कि हम उन नियमों को जानते हैं या नहीं जानते, उन्हें मानते हैं या नहीं मानते. हमारे मानने या ना मानने से ये सिद्धांत बदल नहीं जाते, ये अपना कार्य निर्धारित रूप से करते जाते हैं. हम गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत को मानें या ना मानें. ऊंचाई से छलांग लगाने से हम उड़ नहीं जायेंगे, बल्कि नीचे ही गिरेंगे. क्योंकि पृथ्वी अपने गुरुत्वाकर्षण के कारण हर वस्तु को अपनी और आकर्षित करती है, उसे अपने और खींचती है. ठीक उसी प्रकार, जैसे अन्य सिद्धांत अपना कार्य करते हैं. जैसे उर्जा से तरल पदार्थ (liquid), भाफ़ (steam) बन जाता है, ठण्ड से भाफ़ द्रव (liquid) बन जाती है. इसी तरह आकर्षण का सिद्धांत भी अपने नियमों के अनुसार ही कार्य करता है, चाहे हम उसे मानें या ना मानें.

दोस्तों! हमने देखा कि किस प्रकार प्रकृति के सिद्धांत अपना कार्य करते हैं? इसी प्रकार "आकर्षण का सिद्धांत" (Law of Attraction) भी अपना कार्य करता है. अब यदि हम चाहें तो इस सिद्धांत को भी अपने फायदे के लिए प्रयोग कर सकते हैं, जैसे हम अन्य सिद्धांतों को प्रयोग में लाते हैं. आग का सिद्धांत है जलाना, पर हम इसे खाना पकाने के लिए प्रयोग करते हैं. यही आग यदि सावधानी पूर्वक प्रयोग ना की जाए तो यह हमें जला भी सकती है. इसी आग की शक्ति से भाफ़ (steam) बनती है जो बड़े-बड़े जहाज़ों को रेल-इंजनों को चलाती है. यदि हम सही तरीके से "आकर्षण के सिद्धांत" को प्रयोग में लायेंगे तो उससे बहुत लाभ उठा सकते हैं, अन्यथा, यही सिद्धांत अपना कार्य करते हुए हमारा अहित भी कर सकता है.

सबसे पहले आती है हमारी सोच. जो हम सोचते हैं वही हम बन जाते हैं. हमें अपनी सोच सकारात्मक रखनी है. यदि हमारी सोच सकारात्मक है, तो यह सिद्धांत हमें सकारात्मक परिणाम देगा, अन्यथा हमारी नकारात्मक सोच के चलते भी यह तो अपना कार्य करता ही जाएगा, पर ज़रा सोचिये इस प्रकार हमारा कितना अहित हो सकता है? यदि इस सिद्धांत का प्रयोग ठीक से किया जाए तो 'हम जो चाह सकते हैं, वह हम पा सकते हैं.'

दोस्तों! दुनिया में दो प्रकार के विश्वास होते हैं. एक है विश्वास और दूसरा है अंधविश्वास. ईश्वर है, यह एक विश्वास है परन्तु ईश्वर ही हर अच्छे बुरे कार्य या परिणाम के लिए उत्तरदायी है, यह अंधविश्वास है. आकर्षण के सिद्धांत में सबसे पहले यह बताया जाता है कि आपको अपने लक्ष्य लिखने हैं. यह सच है कि लिखने से कोई भी बात हमारे दिमाग में जल्द और गहराई तक बैठती है और हमारी सोच को प्रभावित करती है. एक दूसरा तरीका भी इस बात के लिए यह भी बताया जाता है कि आप अपने लक्ष्यों की तस्वीरें लगा कर एक विज़न-बोर्ड बनाएं. चाहे आप अपने लक्ष्यों को लिखें या फिर विज़न-बोर्ड बनाएं, तात्पर्य यह है कि आपके लक्ष्य जितना अधिक आपके सामने रहेंगे, उतना ही आप उन्हें याद रख पायेंगे. वो कहते हैं न किout of sight, out of mind. प्रतिदिन आपके दिमाग में आने वाले हज़ारों विचारों में, आपके लक्ष्य कहां खो जायेंगे, पता भी नहीं चलेगा. लिखे हुए लक्ष्य या विज़न-बोर्ड का कार्य है आपकी इच्छाओं को को ज्वलंत-इच्छाएं (burning desire) बनाना. पर यदि आप यह सोचते हैं, कि केवल लिख देने से या विज़न-बोर्ड बना देने भर से आपको आपके लक्ष्य प्राप्त हो जायेंगे, तो यह आपका अंध-विश्वास है. आपने देखा होगा कि बहुत से लोग अपने ड्राइंग-रूम में बड़ी-बड़ी मंहगी कारों के या बड़ी-बड़ी बिल्डिंग्स के चित्र लगाते हैं, बहुत से हेयर-कटिंग सैलून में भी ऐसी तस्वीरें लगी रहती हैं, पर बरसों बाद भी ऐसे लोगों के पास वैसी बड़ी-बड़ी मंहगी कारें या बड़ी-बड़ी बिल्डिंग्स नहीं आती. तो यह सोचना कि लिखने या विज़न-बोर्ड बनाने मात्र से आपको आपके लक्ष्य प्राप्त हो जायेंगे, यह अंध-विश्वास है. जहाँ विश्वास आपका हित-साधक है, वहीँ अन्धविश्वास आपका अहित ही करता है.

जब अपने लक्ष्यों, अपनी इच्छाओं पर आप पूरा ध्यान केन्द्रित (focus) करेंगे, आपकी इच्छाएं burning desires बन जायेंगी. आपको अपने लक्ष्यों तक पहुँचने के अनेकों रास्ते नज़र आयेंगे, उन रास्तों पर चलते हुए जब आप जोश के साथ प्रयत्न करेंगे, तो आपके लिए अपने लक्ष्य प्राप्त करना आसान हो जाएगा. अर्थात केवल सोचने से या लिखने से आपको आपके लक्ष्य प्राप्त नहीं होने वाले. अपनी सोच से अपने लक्ष्यों को अपनी इच्छाओं को ज्वलंत इच्छाएं बनाना है और अपनी कल्पना में अपने लक्ष्यों को पूरा होते देखने का अनुभव (visualise) करना है. तब बनेंगी आपकी इच्छाएं burning desires. जब आपकी इच्छाएं burning desires बन जायेंगी, आगे का रास्ता आपके लिए आसान हो जाएगा. इसमें आपका विश्वास भी बहुत महत्वपूर्ण पार्ट अदा करता है. यदि आप मन में यही सोचते रहते हैं, कि यह सिद्धांत काम करेगा या नहीं? यह आपके अनुसार कार्य नहीं करेगा.

एक और बात भी यहां सामने आती है, वह है आपकी इच्छाशक्ति. आकर्षण का सिद्धांत आपकी इच्छाशक्ति को दृढ बनाता है. आपकी इच्छाशक्ति बहुत सी समस्याओं (जैसे बिमारी, आपसी सम्बन्ध आदि) से निकलने में आपका बहुत साथ देती है. 

इस सिद्धांत को कैसे प्रयोग करना है? इसके लिए आपको क्या करना है और क्या नहीं? इसकी चर्चा हम फिर किसी लेख में करेंगे.

अपने सपनों को साकार करने के लिये मेरे आर्टिकल्स पढ़ते रहियेअपनी राय मुझे कमेंट्स के माध्यम से भेजते रहिये. तब तक के लिए शुभ-रात्रि, good-night, शब्बाखैर. CA बी. एम्. अग्रवाल


1 comment:

Unknown said...

Very inspirational