जीवन में हर व्यक्ति सफलता की नई-नई ऊँचाइयों को छूना चाहता
है. परन्तु हर व्यक्ति सफल नहीं हो पाता. जानते हैं क्यों? सफलता या असफलता अनेक बातों पर निर्भर करती है. असफल होने
के अनेक कारण हैं. कुछ महत्वपूर्ण कारणों की चर्चा हम इस लेख में करेंगे. आप
देखेंगे कि सफल होना कितना आसान है.
वो कहते हैं ना कि आप वही बनते हैं, जो आप सोचते हैं. यानि सबसे महत्वपूर्ण बात है आपकी सोच. जैसी
सोच होगी, वैसे ही आप बन जायेंगे. अगर आप पर नकारात्मक
सोच हावी रहती है, तो निश्चित रूप से आप असफलता को आमंत्रित कर
रहे हैं. एक बहुत प्रसिद्द कहावत आपने सुनी होगी, "आ बैल मुझे मार." नकारात्मक सोच वाले व्यक्तियों पर यह
कहावत शत-प्रतिशत चरितार्थ होती है. नकारात्मक सोच के चलते, असफलता रुपी बैल आपको छोड़ने वाला नहीं हैं. अरे भाई जब आप
किसी भी बात को या कार्य को नकारात्मक पहलू से देखेंगे तो आपका अवचेतन मन तुरंत
आपका समर्थन करेगा और आपकी नकारात्मकता कई गुना बढ़ जायेगी. नकारात्मक सोच के कारण
आप आसान से आसान चीज़ों को भी नकारात्मक दृष्टिकोण से ही देखेंगे. उस कार्य को या
तो आप शुरू ही नहीं करेंगे और अगर किसी तरह शुरू कर भी लिया तो उसे आधे-अधूरे मन
से करेंगे, क्योंकि आपके मन में तो पहले से ही उस कार्य की
सफलता को लेकर संदेह है. इस परिस्थिति से बचने का साधारण सा उपाय है, सकारात्मक विचारधारा. सकारात्मक सोच वाले व्यक्ति कठिन से
कठिन परिस्थितियों में भी विचलित नहीं होते और अंततः जीवन के हर क्षेत्र में सफल
होते है. यह भी ध्यान रखें की,
आपका शरीर आपको हर कार्य को
करने के लिए उचित ऊर्जा देता है. एक शारीरिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति ही सकारात्मक
सोच का स्वामी हो सकता है. आपने यह कहावत तो सुनी ही होगी, की एक स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ दिमाग रहता है (A healthy mind lives in a healthy body). अतः नकारात्मक विचारों से परहेज करते हुए सकारात्मक
विचारों को सोचने के लिए अपने आप को ट्रेन करें.
अपने पैर पर खुद कुल्हाड़ी ना चलायें. अर्थात नकारात्मक सोच वाले व्यक्तियों से दूरी बना कर रहें. यदि आप ऐसे लोगों को टाल नहीं सकते या अपने पास आने से रोक नहीं सकते, तो उनकी बातों पर ध्यान मत दीजिये. क्योंकि ऐसे लोगों की संगति आप को भी ले डूबेगी. यह लोग ना केवल आपकी सारी ऊर्जा नाली में बहा देंगे और व्यर्थ में आपका समय नष्ट करेंगे, बल्कि आपकी सोच को भी नकारात्मक बना कर रहेंगे. महाकवि रहीम ने भी तो कहा है:
कदली सीप भुजंग मुख, स्वाति एक गुन तीन।
जैसी संगति बैठिए, तैसो ही फल दीन।
अतः नकारात्मक सोच वाले व्यक्तियों का साथ छोड़ कर, अपनी तरह ही सकारात्मक सोच रखने वाले व्यक्तियों से सम्बन्ध बढ़ाइए. उनके साथ रहने से आपकी सोच तो सकारात्मक बनी ही रहेगी, साथ-साथ अपनी सोच में आपका विश्वास और भी दृढ होता जाएगा. ऐसे व्यक्तियों का साथ, कदाचित आपका मार्ग दर्शन भी कर सकता है. अगर आपको उचित लगे, तो आप उनकी सफलता की रणनीति को अपना भी सकते हैं.
कुछ समय पहले एक लेख में हमने लक्ष्यों पर
चर्चा की थी. आपके लक्ष्यों में लचीलापन (flexibility)
भी होना चाहिए. और समय-समय पर आपको अपने लक्ष्यों एवं
उन्नति की समीक्षा भी करनी चाहिए. ऐसा करके आप अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में
शीघ्र सफल होंगे. समीक्षा करते समय यदि आपको यह लगे की आपके लक्ष्य अधिक ऊंचे या कठोर हैं, तो
आप उनमे उचित फेर-बदल कर सकते हैं. इस प्रकार आपकी ऊर्जा एवं आपका समय व्यर्थ में
नष्ट होने से बच जाएगा. अपने लक्ष्यों को गंभीरता से लें. यह नहीं कि "मैं यह
कार्य करने का प्रयास करूंगा" बल्कि यह सोचें एवं कहें कि "मुझे यह
कार्य करना है."
बहाने बनाना छोड़ दीजिये. आपकी सफलता-असफलता, उन्नति-अवनति के जिम्मेदार आप स्वयं है. अपनी असफलता के समय
दूसरों पर या भाग्य पर दोषारोपण मत कीजिये. यह सिर्फ बहानेबाजी की बातें हैं. ऐसी
बातें करके आप अपने मन को कुछ समय के लिए बहला सकते हैं. परन्तु जब आप ठन्डे दिमाग
से, अपनी असफलता के बारे में समीक्षा करेंगे, आपका मन स्वयं अपना दोष स्वीकार करेगा और आपको बताएगा कि
आपके प्रयासों में कहाँ कमी रह गई. अपनी असफलताओं का भी जश्न मनाइए क्योंकि जीवन
के सबसे महत्वपूर्ण सबक असफलता से ही मिलते हैं. इसी प्रकार, अपनी सफलता का सारा श्रेय ईश्वर को मत दीजिये. ईश्वर को
धन्यवाद् दीजिये कि, उसने आपको यह कार्य करने की शक्ति दी. इस
प्रकार आप बहानेबाजी की बुरी आदत से बचेंगे.
असफलता से डरिये मत, क्योंकि "डर के आगे जीत है." जब आप पूरी लगन एवं सकारात्मक सोच के साथ
प्रयास करते हैं, तब या तो आप सफल होते हैं, या कुछ सीखते हैं. आप यदि असफलताओं से डरते हैं तो अमेरिका
के राष्ट्रपती अब्राहम लिंकन को याद कीजिये. कितनी असफलताओं के बाद वे अपने देश के
राष्ट्रपती बने और उनका कार्यकाल सबसे लम्बे कार्यकालों में से एक था. आज के
महानायक अमिताभ बच्चन को याद कीजिये, क्या
उन्होंने कभी असफलता का मूंह नहीं देखा? क्या
उनकी सारी फ़िल्में बॉक्स-ऑफिस पर सफल रहीं? बॉलीवुड
के बादशाह शाहरुख़ का उदहारण ले लीजिये या फिर सलमान खान का. इंद्रा गांधी का
उदहारण लीजिये या अटल बिहारी वाजपेयी का, सबने
सफलता एवं असफलता दोनों का ही स्वाद चखा है. असफल हो गए तो चिंता क्या करना, फिर दुगने जोश के साथ प्रयास कीजिये. गिर पड़े हैं, तो पड़े मत रहिये. उठिए और आगे बढिए. किसी मशहूर शायर का यह
शेर तो आपने सुना ही होगा:
गिरते हैं शह सवार ही मैदाने जंग में,
वह तिफ्ल क्या गिरेंगे जो घुटनों के बल चलें.
असफलता की ही भांति सफलता को भी गंभीरता से ना
लें. हर सफलता की ख़ुशी मनाएं, ईश्वर का धन्यवाद करें और फिर उसे भूल कर आगे
बढ़ जाएँ. अन्यथा सफलता की ख़ुशी आपको लापरवाह बना देगी और आप भविष्य की कितनी ही
सफलताओं से वंचित रह जायेंगे.
हर दिन, हर पल कुछ नया करने का प्रयास करें. ऐसा करके आप हमेशा जोश में रहेंगे, खुश रहेंगे और कुछ नया करने की चाह आपके लिए सफलता के नये नये द्वार खोलती जायेगी क्योंकि यही मनुष्य का स्वभाव है. पुराने से मन भर जाता है, तब हर कोई, कुछ नया चाहता है. ना ही कभी पूर्णता (perfection) का इंतज़ार करें. कोई भी चीज़ या कार्य कभी perfect नहीं हो सकता क्योंकि even the best can be improved.
अब सबसे महत्वपूर्ण बात. वह है क्रियान्वन (action). जब तक आप अपने विचारों को अमली जामा
नहीं पहनाते अर्थात उनको (implement) नहीं करते, तब
तक सब बेकार है.
दोस्तों!
उपरोक्त बातों को ध्यान में रख कर कोई भी कार्य करने से, मैं आपकी की तो गारंटी नहीं ले सकता, पर आपको इतना विश्वास अवश्य दिलाता हूँ कि यह
आसान उपाय आपकी सफलता की संभावना कई गुना बाधा देंगे.
अपने सपनों को साकार करने
के लिये मेरे आर्टिकल्स पढ़ते रहिये, अपनी राय मुझे कमेंट्स के
माध्यम से भेजते रहिये. तब तक के लिए शुभ-रात्रि,
good-night, शब्बाखैर. - CA बी. एम्. अग्रवाल
1 comment:
Very true..it will be great if you also include some relevant examples
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