बंदर पकड़ने वाले, एक ख़ास तरह का बॉक्स प्रयोग करते हैं. बॉक्स के ऊपर, केवल इतना बड़ा एक छेद होता है, जिसमें से बन्दर अपना हाथ अंदर डाल सके. बॉक्स के अन्दर मूंगफलियाँ रखी जाती
हैं. मूंगफलियों के लालच में बन्दर उस छेद से अपना हाथ बॉक्स के अन्दर डालता है और
मूंगफलियों की मुट्ठी भर लेता है. बॉक्स का छेद बन्दर के हाथ डालने या निकालने के
लिए काफी होता है परन्तु मुट्ठी के लिए नहीं. बन्दर अपना हाथ बाहर खींचना चाहता है, पर लालच में अपनी मुट्ठी नहीं खोलता. और परिणाम
? लालच में बन्दर पकड़ा जाता है.
हममें से बहुत सारे लोग भी इस बन्दर की भांति
ही आचरण करते हैं. हम अपने पूर्वाग्रहों, अपने
अंधविश्वासों, मिथ्या धारणाओं रुपी मूंगफलियों को चाह कर भी
छोड़ नहीं पाते और अपनी इस असफलता को छिपाने के लिए, दूसरों के साथ-साथ अपने आप से भी तरह तरह के झूठे बहाने बनाने लगते है, "मैं इसलिए ऐसा नहीं कर सकता क्योंकि........, मैं इस वजह से ऐसा नहीं कर सकता क्योंकि........" और मूंगफलियों की भांति यह 'क्योंकि'
हमें जकड़े रखता है और आगे
नहीं बढ़ने देता.
एक बार इस 'क्योंकि' से छुटकारा पा कर देखिये. सफल व्यक्ति अपने बन्धनों को
तर्कसंगत नहीं ठहराते. सारे बंधन,
बेड़ियाँ और जंजीरें तोड़ कर
आगे बढ़ जाते हैं. केवल दो चीज़ें,
किसी व्यक्ति की सफलता
निर्धारित करती हैं, और यह दो चीज़ें हैं कर्म और कर्म-प्रभाव (action and reaction).
दोस्तों!
कारण का महत्त्व नहीं है. यदि कुछ महत्वपूर्ण है, तो वह है 'परिणाम' (result).
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