Saturday, 9 November 2013

तोल मोल के बोल

एक बार की बात है. एक बूढ़ा आदमी अपने पड़ोसी युवक के बारे में अफवाहें फैलाता था की वह युवक एक चोर है. नतीजतन, युवक को गिरफ्तार कर लिया गया. कुछ दिन बाद युवक निर्दोष साबित हो गया था और रिहा कर दिया गया. रिहा होने के बाद उसने उस बूढ़े आदमी पर आरोप लगाया कि वह बूढ़ा गलत अफवाहें फैलाता है और उस पर मुकदमा कर दिया.

अदालत में बूढ़े आदमी ने जज को बताया, "वे सिर्फ टिप्पणी (comments) थी. मेरा इरादा किसी को भी नुकसान पहुँचाने का नहीं था." न्यायाधीश ने बूढ़े आदमी से कहा, "आप एक कागज वह सब बातें लिखिए जो आप उसके बारे में कहा करते थे. उस कागज़ के टुकड़े करके रास्ते में फेंकते हुवे अपने घर चले जाएँ और कल फैसला सुनने के लिए आयें." उस बूढ़े आदमी ने वैसा ही किया.

अगले दिन, न्यायाधीश ने बूढ़े आदमी से कहा, "फैसला सुनने से पहले, तुम बाहर जाओ और कल जो कागज़ के टुकड़े बाहर फेंक दिये थे, उन सभी टुकड़ों को इकट्ठा करके ले आओ."

बूढ़े आदमी ने कहा, "मैं ऐसा नहीं कर सकता! 
हवा उन्हें उड़ा कर जाने कहाँ-कहाँ फैला गई. उन्हें खोजने के लिए अब मैं कहाँ जाऊँगा?"

न्यायाधीश ने फिर कहा: "इसी तरह से तुम्हारी गलत टिप्पणी (comments) ने भी इस हद इस आदमी के सम्मान को नष्ट कर दिया कि अब उसे सुधारना आसान नहीं है. 
आप किसी के बारे में अच्छी बात नहीं कर सकते तो बेहतर है कुछ मत कहो." इसके बाद न्यायाधीश ने बूढ़े आदमी को उचित सजा दी.
दोस्तों! हमें अपने शब्दों का स्वामि बनना है, दास नहीं. वो कहते हैं ना, "पहले तोलो फिर बोलो"

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