एक दिन एक ऑफिस में एक अजीब घटना घटी. ऑफिस के सभी कर्मचारी
जब ऑफिस पहुंचे तो उन सब की टेबल पर एक पर्ची रखी हुई थी जिसमें लिखा था, "कल इस कंपनी के उस व्यक्ति का निधन हो गया, जो आपके विकास में बाधा उत्पन्न किया करता था. उसका शव 1 घंटे के लिए जिम एरिया में रखा गया है. आपसे अनुरोध है कि
आप उसकी शव-यात्रा में शामिल हों”.
सभी कर्मचारियों को अपने एक सहकर्मी के निधन का जहाँ दुःख
था, वहीं उनके मन में इस बात की ख़ुशी भी थी कि चलो
आखिर वह व्यक्ति जो हमारे विकास,
हमारी तरक्की में बाधा
उत्पन्न करता था, वह अब इस दुनिया में नहीं है. परन्तु हर
कर्मचारी के मन में यह विचार चल रहा था कि, आखिर
वह व्यक्ति था कौन जो आज तक उनकी तरक्की में बाधा बनता रहा और उन्हें पता भी नहीं
चला?
जिम एरिया में रखे उस व्यक्ति के शव को देखने की उत्सुक्ता लिए सारे कर्मचारी वहां पहुंचे. वहां एक ताबूत रखा हुआ था. सारे कर्मचारियों ने, बारी बारी से, जब ताबूत के अन्दर झाँका, तो सब के सब अवाक रह गए. मानो उनको किसी ने अन्दर तक झकझोर दिया हो.
ताबूत के अन्दर एक दर्पण (mirror) रखा था. जिसने भी
ताबूत के अन्दर झाँका, उसे खुद की ही शक्ल नज़र आई. दर्पण के पास ही एक सन्देश चिपकाया गया था, जिस पर लिखा था, "आपकी तरक्की की सीमा केवल एक ही व्यक्ति निर्धारित कर सकता
है. और वो हैं आप खुद. अपने जीवन में केवल और केवल आप ही क्रांतिकारी बदलाव ला
सकते हैं. आप ही अपने सुख, अपनी उपलब्धियों और अपनी सफलता को प्रभावित कर
सकते हैं. केवल आप ही अपनी खुद की मदद कर सकते हैं"
तो दोस्तों आपका बॉस बदलने से, आपके मित्र बदलने से, आपका
पार्टनर बदलने से, आपकी कम्पनी बदलने से, या आपका व्यवसाय बदलने से कुछ अंतर नहीं पड़ने वाला.
परिवर्तन तब आएगा जब आप स्वयं अपने आप को बदलेंगे. जिस दिन आप अपनी सीमित
मान्यताओं से परे जाकर, आपको यह अनभूति, यह अहसास हो जाएगा कि आपकी अपनी सोच ही आपकी तरक्की या आपके पतन का कारण है, उसी दिन से आपका जीवन बदल जाएगा. क्या आप जानते हैं, आपके जीवन का सबसे सबसे महत्वपूर्ण रिश्ता किसके साथ है? आप के अपने साथ.
दूसरों को परखने की बजाय स्वयं को जांचें-परखें. यदि आप
जीवन में सफलता प्राप्त करना चाहते है? तो
अपना अंतर्निरिक्षण (introspection) करें, कठिनाइयों , असंभवता (impossibilities), असफलताओं और नुकसान की परवाह किये बगैर अपने जीवन, अपनी दुनिया का स्वयं निर्माण करें. इस बात में विश्वास
करें कि आप ही अपने भाग्य-विधाता हैं. आप ही अपने जीवन के निर्माता हैं. और
विश्वास रखें सफलता एक दिन आपके कदम चूमेगी.
दोस्तों! यह दुनिया एक दर्पण की तरह कार्य करती है. यह आपको
आपकी अपनी सोच, आपकी अपनी मान्यताओं (beliefs) का प्रतिबिम्ब (reflection) दिखाती है.
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