अपने अपने पेशे (careers) में अत्यधिक सफल दोस्तों का एक समूह कहीं एकत्र हुआ. अपने
पुराने दिनों को याद करते-करते उन्होंने अपने पुराने विश्वविद्यालय में एक
प्रोफेसर से मिलने का निश्चय किया और उनसे मिलने चले गए.
प्रोफेसर के यहाँ बातचीत जल्द ही काम और जीवन में तनाव के बारे में शिकायतों में बदल गई. सब अपने अपने तनाव को लेकर बहुत चिंतित लग रहे थे. सफलता के बावजूद तनाव उनका पीछा नहीं छोड़ रहा था. तभी प्रोफेसर ने सबसे कॉफ़ी के लिए पुछा और सबने हाँ कर दी. प्रोफेसर रसोई में गए और कुछ समय बाद कॉफ़ी ले कर लौटे. पर एक बात थोड़ी विचित्र थी. कॉफ़ी के सारे कप एक दुसरे से अलग थे. कुछ चीनी मिट्टी के, कुछ प्लास्टिक के, कुछ कांच के, कुछ क्रिस्टल के, कुछ देखने में सादे, कुछ महंगे, कुछ अति सुंदर आदि-आदि. ट्रे को टेबल पर रख कर प्रोफेसर ने सबसे कॉफ़ी लेने को कहा.
देखते-देखते, सभी छात्रों के हाथ में एक कप कॉफी का था, प्रोफेसर ने कहा, "जैसा कि आपने देखा, सबने केवल अच्छा और सुन्दर लगने वाले, महंगे कप ही उठाये. सादा और सस्ते वाले पीछे छोड़ दिए. सामान्यत: आप केवल अपने आप के लिए सबसे अच्छी वस्तु चाहते हैं. यही चाह समस्याओं और तनाव की जड़ है. कप के महंगे या सस्ते होने से या फिर उसकी क्वालिटी से आपकी कॉफी की गुणवत्ता (quality) में कोई अंतर नहीं आता है. कोई कप सिर्फ अधिक महंगा है, कोई सस्ता, कोई कप अधिक सुन्दर है तो कोई कम. किसी-किसी कप में यह भी नज़र नहीं आता कि उसके अन्दर क्या है? आप सभी, वास्तव में कॉफ़ी चाहते थे, न कि कप, लेकिन आप सब ने जानबूझ कर केवल सबसे अच्छे कप लिए. आपकी सोच यहीं तक नहीं रुकी. आप सब ने, एक दूसरे के कप को इर्ष्या (envy) से देखना शुरू किया".
प्रोफेसर ने कहा, "अब इस पर विचार करें. नौकरी, पैसा, गाड़ी, बंगला और समाज में आपकी स्थिति आदि सब केवल कप
हैं "जीवन कॉफी है. यह बाकी सब वस्तुएं, सिर्फ जीवन को सुचारू रूप से चलाने के लिए उपकरण हैं. कप का प्रकार (type) हमारे जीवन को को परिभाषित नहीं करता और ना ही
उसकी गुणवत्ता में कोई अंतर लाता है. कभी कभी, केवल
कप पर ध्यान केंद्रित करके, हम "जीवन रुपी कॉफी का आनंद लेने के लिए असफल रहते हैं, जो भगवान ने हमें प्रदान की है. भगवान कॉफी (Life) बनाता है,
कप नहीं".
दुनिया के सब खुश लोगों के पास सब कुछ
सर्वोत्तम नहीं होता. वे बस, सब कुछ सर्वोत्तम बनाते हैं. बस अपनी कॉफी का आनंद लीजिये.
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